Site icon Asian News Service

इस तरह मनाई जाती है यहाँ की दिवाली! लाठियां भांजते और ढोल पर थिरकते है यहाँ के लोग, हजारों साल पुरानी है परंपरा,जानें इसके बारे में-

Spread the love


चित्रकूट, 05 नवंबर (ए)। दीपावली की देश भर में धूम है। इस बीच दिवाली के मौके पर अपनी लोकसंस्कृति के लिए विख्यात बुंदेलखंड में शुक्रवार को दिवारी नृत्य की धूम देखने को मिली। गांव-गांव में लाठियां भांजते, करतब दिखाते और ढोल की थाप पर नाचते लोगों ने सबका मन मोह लिया। दिवाली के अगले दिन इस नृत्य के आयोजन की बुंदेलखंड के कई जिलों में परंपरा है। इनमें चित्रकूट, बांदा आदि शामिल हैं। दिवारी नृत्य करने वाले सिर पर मोर पंख बांधे और पीले वस्त्र पहने होते हैं और आपस में लाठियां भांजते हुए ढोल-नगाड़े की थाप पर नाचते हैं। दिवारी नृत्य का एक नाम मौनिया नृत्य भी है। 
बांदा जिले के एक गांव महुटा में भी शुक्रवार को दिवारी नृत्य का आयोजन था। ग्रामीणों ने कहा कि यह परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है और इस नृत्य का आयोजन गोवर्धन पूजा के दिन होता रहा है। इसे गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद भगवान कृष्ण की भक्ति में प्रकृति पूजक परंपरा के तौर पर मनाया जाता है, जिसमें दिवारी गीत शामिल होते हैं। दिवारी नृत्य करने वालों की टोली 12-12 गांव जाकर 12 साल तक नृत्य करती है। एक टोली जब इसे शुरू करती है तो उसे मौन साधना कर 12 अलग-अलग गांव में 12 साल तक भ्रमण करती है। उसके बाद इसका विसर्जन करा दिया जाता है और फिर अगली टोली इस व्रत को उठाती ।

Exit mobile version