शिमला: 24 मई (ए)
पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने यह भी आरोप लगाया कि कई मामलों में जांच बाधित करने के प्रयास किये गए।
हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के कर्मचारी नेगी की रहस्यमय परिस्थतियों में हुई मौत की एसआईटी जांच का नेतृत्व करने वाले गांधी ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने के एक दिन बाद, संवाददाता सम्मेलन में डीजीपी और उनके स्टाफ के खिलाफ कदाचार के कई आरोप लगाए।
हालांकि, डीजीपी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
एचपीपीसीएल में महाप्रबंधक एवं मुख्य अभियंता नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और 18 मार्च को उनका शव मिला था। उनकी पत्नी किरण नेगी ने आरोप लगाया था कि उनके वरिष्ठ अधिकारी पिछले छह महीने से उन्हें परेशान कर रहे थे। मामले ने हिमाचल में एक राजनीतिक भूचाल ला दिया।
उच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवार को दिए गए फैसले में कहा गया कि ‘‘अदालत का यह मानना है कि इस मामले में असाधारण स्थिति है, जिसके लिए मामले की सीबीआई जांच आवश्यक है, क्योंकि पुलिस महानिदेशक ने अपनी वस्तु स्थिति रिपोर्ट में जांच के तरीके और पद्धति पर गंभीर चिंता जताई है।’’
पुलिस अधीक्षक ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस तरह का अपमान सहने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे और उन्होंने डीजीपी के कथित ‘‘गुप्त उद्देश्यों’’ को उजागर करने के लिए अदालत में तथ्य और दस्तावेज पेश करने का संकल्प लिया।
एसपी ने कहा, ‘‘हमने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ जांच की थी और डीजीपी द्वारा अदालत में पेश की गई वस्तु स्थिति रिपोर्ट और हलफनामा बहुत गैर जिम्मेदाराना था तथा ऐसा इसलिए हुआ कि पुलिस मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मेरे प्रति द्वेष रखते हैं।’’
डीजीपी कार्यालय के कर्मचारियों पर निशाना साधते हुए पुलिस अधीक्षक ने संवाददाताओं से कहा कि शिमला पुलिस द्वारा मादक पदार्थ माफिया के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान यह बात सामने आई कि डीजीपी के निजी स्टाफ में से एक का संजय भूरिया गिरोह से संबंध है, जो कथित तौर पर मादक पदार्थ तस्करी में शामिल है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि विनय अग्रवाल मामले में ‘‘डीजीपी अतुल वर्मा के इशारे पर’’ एक झूठी रिपोर्ट पेश की गई थी। अग्रवाल पर हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में जबरन वसूली करने का आरोप है।
पुलिस अधीक्षक ने आरोप लगाया कि ‘‘सीआईडी से गोपनीय दस्तावेज रिपोर्ट लीक करने में डीजीपी के निजी स्टाफ की संलिप्तता भी पाई गई है, जिसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि कई मौकों पर जांच में बाधा डालने के लिए दबाव बनाया गया।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि डीजीपी कार्यालय द्वारा उनके खिलाफ लंबे समय से साजिश रची जा रही थी। उन्होंने कहा कि शिमला में एक भोजनालय में हुए साधारण गैस रिसाव विस्फोट को आतंकी गतिविधि के रूप में पेश करने का प्रयास किया गया और दावा किया गया कि वहां आरडीएक्स मिला है।
उन्होंने दावा किया कि घटना को आतंकी गतिविधि करार देने का यह प्रयास पूर्व डीजीपी संजय कुंडू और पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के साथ सांठगांठ कर किया गया था। हालांकि, अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई आरडीएक्स नहीं था और यह गैस रिसाव विस्फोट था।
शिमला शहर के मध्य में अग्निशमन विभाग कार्यालय के निकट मिडिल बाजार में स्थित भोजनालय में 18 जुलाई 2023 की शाम को हुए विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 10 से अधिक लोग घायल हुए थे।
उन्होंने कहा कि उनके पास ईमानदारी और समर्पण का बेदाग रिकॉर्ड है और वह अपमान सहने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे।