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अस्पताल ने जिसका जारी किया डेथ सर्टिफिकेट,15 दिन बाद जिंदा लौटी महिला,फिर—

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हैदराबाद , 3 जून (ए)। क्या आपने कभी किसी मरे हुए इंसान को वापस जिंदा होते हुए देखा है? अगर कोई भी व्यक्ति ऐसा होते हुए देख ले तो यकीनन उसके होश उड़ जाएंगे। लेकिन आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले से ऐसी ही खबर सामने आई है जो हैरान कर देने वाली है। जिसमें 75 साल की बुजुर्ग महिला मुत्याला गिरिजम्मा को अस्पतालों वालों ने मृत घोषित कर दिया, परिवार वालों ने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया लेकिन इसके बावजूद भी गिरिजम्मा जिंदा अपने घर लौट आईं जिससे परिवार वाले भी हैरान रह गए।
बता दें कि गिरिजम्मा कोविड-19 की मरीज थीं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल वालों ने गिरिजम्मा के घरवालों यह सूचना दी कि उनकी मौत हो गई है। जिसके बाद परिवार वाले मुर्दाघर से एक लाश को गिरिजम्मा का शव समझकर घर ले आए और अंतिम संस्कार कर दिया है लेकिन 15 दिनों बाद ही जब गिरिजम्मा घर पहुंची तो सबके होश उड़ गए। हुआ यह कि कोरोना की जांच पॉजिटिव आने के बाद गिरिजम्मा को 12 मई को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगले दिन उनके पति अस्पताल में उनसे मिले। 15 मई को अधिकारियों ने बताया कि बीमारी की वजह से गिरिजम्मा की मौत हो गई है।

गिरिजाम्मा के भतीजे नागू के अनुसार, अस्पताल के अधिकारियों ने परिवार को शवगृह में उनका शव तलाश करने को कहा। वो कहते हैं, “मेरे चाचा को अपनी पत्नी के जैसा ही एक शव मिला। अस्पताल के अधिकारियों ने एक डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था। परिवार वाले उस शव को जग्गैयापेट ले गए और उसी दिन अंतिम संस्कार कर आए। गिरिजाम्मा के बेटे रमेश की भी 23 मई को कोरोना से मृत्यु हो गई। हमने दोनों के लिए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था।”
जैसे ही गिरिजम्मा का इलाज पूरा हुआ वह ठीक होकर अपने घर आ गईं। चूंकि घरवालों ने तो उन्हें मरा हुआ समझ लिया था इसलिए कोई भी वापस अस्तपताल नहीं गया लेकिन जैसे ही गिरिजम्मा वापस आईं उनके परिवार वाले और पड़ोसी दोनों हैरान रह गए। नागू व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछते हैं कि गिरिजम्मा को मरा हुआ बता दिया गया, इसमें किसी गलती थी?

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