यरुशलम: 23 जून (ए)।
जॉर्डन के लिए 160 लोगों का पहला जत्था रविवार को रवाना हुआ था जहां से वे आज स्थानीय समयानुसार दोपहर 2:15 बजे विमान में सवार हुए। यह जानकारी विमान पर सवार एक व्यक्ति ने प्रस्थान से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को दी।
इजराइल की सीमा पार करने वाले 443 लोग सोमवार को जॉर्डन और मिस्र से उन दो अलग-अलग विमानों में सवार होंगे जिनका प्रबंध विदेश मंत्रालय ने उन देशों में भारतीय मिशनों के समन्वय से किया है।
नयी दिल्ली और तीनों मिशनों के बीच जटिल और समन्वित प्रयास ने इजराइल में भारतीयों को बड़ी राहत दी है, जो लगातार गूंजते सायरन से जूझ रहे थे और ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले से बचने के लिए अक्सर बंकरों और सुरक्षित कमरों में शरण ले रहे थे।
स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए तेल अवीव में भारतीय दूतावास ने निकासी प्रयास के सभी पहलुओं की देखरेख के लिए पिछले सप्ताह सातों दिन 24 घंटे काम करने वाला एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया था।
नियंत्रण कक्ष ने बदलती स्थिति के अनुसार सलाह जारी कर, भारतीय नागरिकों को एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करने का निर्देश दिया और पूरे इजराइल में भारतीय नागरिकों की विस्तृत जानकारी जुटाई और हजारों फोन कॉल और ईमेल का जवाब दिया।
दूतावास के सूत्रों ने पहले ‘ बताया था, ‘‘चिकित्सा संबंधी आपात स्थितियों, छोटे बच्चों, महिलाओं और छात्रों की उपस्थिति के आधार पर निकासी की प्राथमिकताएं निर्धारित की गई हैं। दूतावास के अधिकारियों ने पंजीकरण कराने वालों से फोन और ईमेल के जरिए सक्रिय रूप से संपर्क किया ताकि उनके यात्रा विवरणों की पुष्टि की जा सके और उनके लिए विशिष्ट निकासी उड़ानें निर्धारित की जा सकें।’’
सूत्रों ने कहा कि जमीनी हालात पर सरकार का उच्च स्तरीय तंत्र कड़ी नजर रख रहा था जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं जो भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा से जुड़ी वास्तविक और अद्यतन जानकारी प्राप्त करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे।
भारत सरकार ने 19 जून को युद्धग्रस्त इजराइल से घर लौटने के इच्छुक भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ की घोषणा की थी।
इजराइल में 40,000 से अधिक भारतीय नागरिक हैं, जिनमें मुख्य रूप से देखभालकर्ता, निर्माण श्रमिक, छात्र (1,000 से अधिक), पेशेवर और अन्य शामिल