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चुनावी बॉण्ड योजना: उच्चतम न्यायालय ने चुनाव प्रक्रिया में नकदी कम करने पर जोर दिया; फैसला सुरक्षित रखा

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नयी दिल्ली, दो नवंबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित चुनावी बॉण्ड योजना को सत्ता के केंद्रों और दानदाताओं के बीच ‘प्रतिकर’ का एक जरिया नहीं बनना चाहिए। न्यायालय ने चुनावी प्रक्रिया में नकदी का प्रभाव कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका एक ऐसी प्रणाली तैयार कर सकती है, जिसमें इस योजना की ‘खामियां’ न हों और यह अधिक पारदर्शी हो।.पीठ ने चुनावी बॉण्ड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बहस के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘आप अब भी एक ऐसी प्रणाली तैयार कर सकते हैं, जो आनुपातिक तरीके से संतुलन बनाए, बस यही कहना है।’’

संविधान पीठ ने 31 अक्टूबर को चार याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की थी। इनमें कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की याचिकाएं शामिल हैं।

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि जैसे ही किसी राजनीतिक दल को चुनावी बॉण्ड दिया जाता है, तो पार्टी को पता चल जाता है कि इसे किसने दिया है।

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