नयी दिल्ली: नौ जुलाई (ए)
अद्यतन वादसूची से पता चलता है कि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष 10 जुलाई को सुनवाई के लिए 10 से अधिक संबंधित मामले सूचीबद्ध हैं।बुधवार को न्यायालय ने दो सामाजिक कार्यकर्ताओं – अरशद अजमल और रूपेश कुमार की नई याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती दी गई है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका में कहा है कि यह प्रक्रिया जन्म, निवास और नागरिकता से संबंधित ‘‘मनमानी, अनुचित और असंगत’’ दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं को लागू करके स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव तथा प्रतिनिधि लोकतंत्र के सिद्धांतों को कमजोर करती है, जो संविधान की मूल संरचना के अभिन्न अंग हैं।
इसके अलावा, वकील अश्विनी उपाध्याय ने निर्वाचन आयोग के कदम का समर्थन करते हुए एक अलग याचिका दायर की है और आयोग को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्देश देने का अनुरोध किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल भारतीय नागरिक ही राजनीति और नीति तय करें, ‘‘न कि अवैध विदेशी घुसपैठिए।’’
उपाध्याय ने कहा, ‘‘आजादी के बाद बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठ, धोखेबाजी से धर्मांतरण और जनसंख्या विस्फोट के कारण 200 जिलों और 1,500 तहसीलों की जनसांख्यिकी बदल गई है।’’
सात जुलाई को, पीठ ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, जो कई याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, के नेतृत्व में वकीलों की दलीलों पर गौर किया और याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।