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वाराणसी की अदालत ने ‘जल्दबाजी’ में फैसला सुनाया: एआईएमपीएलबी ने ज्ञानवापी मुद्दे पर कहा

Varanasi: Security personnel stand guard outside the Gyanvapi Mosque complex ahead of a survey by Archaeological Survey of India (ASI), in Varanasi, Monday, July 24, 2023. (PTI Photo)(PTI07_24_2023_000024A)

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नयी दिल्ली: दो फरवरी (ए) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शुक्रवार को दावा किया कि वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में स्थित तहखाने में पूजा करने की अनुमति देने संबंधी फैसला ‘‘जल्दबाजी’’ में सुनाया है और कहा कि वह न्याय पाने के लिए इस मामले को उच्चतम न्यायालय तक ले जाएगा।

एआईएमपीएलबी के तत्वावधान में मुस्लिम संगठनों ने यह भी कहा कि देश में उत्पन्न होने वाले विवादों को रोकने के लिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए।इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में स्थित तहखाने में पूजा की अनुमति वाले वाराणसी की अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर मस्जिद कमेटी को तत्काल राहत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी की अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की है।

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मस्जिद कमेटी की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अगली सुनवाई छह फरवरी को होगी। हालांकि, अदालत ने तहखाने में पूजा अर्चना पर रोक लगाने का कोई आदेश पारित नहीं किया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि मस्जिद में पूजा की अनुमति देने से न केवल मुसलमानों को बल्कि धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले अन्य धर्मों के लोगों को भी दुख हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह धारणा गलत है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था। इस्लाम मस्जिद बनाने के लिए किसी की जमीन छीनने की इजाजत नहीं देता है।’’

रहमानी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अदालत ने इस पर जल्दबाजी में फैसला सुनाया और दूसरे (मुस्लिम) पक्ष को विस्तार से अपनी दलीलें रखने का मौका भी नहीं दिया गया। इससे न्यायपालिका में अल्पसंख्यकों के विश्वास को ठेस पहुंची है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बाबरी मस्जिद के फैसले में, यह स्वीकार किया गया था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को नहीं गिराया गया था, बल्कि आस्था के आधार पर दूसरे पक्ष के पक्ष में फैसला किया गया था। अदालतों को तथ्यों के आधार पर फैसला देना चाहिए न कि आस्था के आधार पर।’’

उन्होंने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानून है क्योंकि ‘‘हम इसके माध्यम से विवादों को रोक सकते हैं’’।

वाराणसी की अदालत ने 31 जनवरी को दिए अपने आदेश में हिंदू श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में तहखाना में पूजा अर्चना करने की अनुमति दी थी। अदालत ने कहा था कि जिला प्रशासन अगले सात दिन में इस संबंध में आवश्यक व्यवस्था करे।संवाददाता सम्मेलन में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (अरशद मदनी गुट), जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी (महमूद मदनी गुट), एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास समेत अन्य मौजूद थे।

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