नयी दिल्ली, 25 अगस्त (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगामी आम चुनावों से पहले ईवीएम और वीवीपैट की “प्रथम स्तर की जांच” के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं याचिकाकर्ता अनिल कुमार ने कहा कि ‘‘प्रथम स्तर की जांच’’ (एफएलसी) के लिए पर्याप्त नोटिस नहीं दिए गए थे और राजनीतिक दल इस प्रक्रिया के लिए खुद को तैयार नहीं कर सके।.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि याचिका राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ निर्देशित है, जबकि ”उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।”
अदालत ने कहा कि अधिकारी भारत के निर्वाचन आयोग के लिए काम कर रहे थे और उसने याचिकाकर्ता से वर्तमान याचिका वापस लेने और नयी याचिका दायर करने को कहा।
अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने नयी जनहित याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। याचिका उक्त स्वतंत्रता के साथ वापस लिया हुआ मानकर खारिज की जाती है।’’
याचिका में पर्याप्त नोटिस देने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को एफएलसी को फिर से आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया कि पिछले महीने एफएलसी शुरू करने के लिए अपनाई गई पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देशों के विपरीत थी।
याचिका में कहा गया है, ‘‘राज्य निर्वाचन आयोग ने पर्याप्त समय दिए बिना, 30 अगस्त, 2017 और 13 सितंबर, 2022 के निर्देशों के विपरीत, सार्वजनिक जानकारी में मौजूद निर्देशों के विपरीत पूरी एफएलसी प्रक्रिया तीन महीने पहले कर दी और हितधारक राजनीतिक दलों को एफएलसी की पूरी प्रक्रिया में मूकदर्शक बना दिया।’’