नयी दिल्ली: आठ नवंबर (ए)।
तीन सप्ताह के इस सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी और इसके हंगामेदार रहने की उम्मीद है, क्योंकि यह सत्र निर्वाचन आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को अंजाम दिए जाने के बीच हो रहा है। कई विपक्षी दलों ने एसआईआर को लेकर आपत्तियां जताई हैं। इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। श्री रिजिजू ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह सत्र रचनात्मक, सार्थक और लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप होगा। उन्होंने लिखा, “मुझे विश्वास है कि यह सत्र हमारे लोकतंत्र को और मज़बूत करेगा तथा जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा।” सत्र के दौरान सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, आर्थिक सुधार, प्रशासनिक सुधार और कुछ सामाजिक कल्याण योजनाओं से जुड़े बिलों पर चर्चा हो सकती है। साथ ही, विपक्ष सरकार से महंगाई, बेरोज़गारी, किसान मुद्दे, और सीमा सुरक्षा से जुड़े प्रश्नों पर जवाब मांगेगा। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह सत्र असामान्य रूप से देर से बुलाया गया है और बेहद संक्षिप्त है। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा,” अभी-अभी घोषणा हुई है कि संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। यह असामान्य रूप से विलंबित और संक्षिप्त है। यह केवल 15 कार्यदिवसों का होगा। इससे क्या संदेश दिया जा रहा है? स्पष्ट है कि सरकार के पास न तो कोई काम है, न ही कोई विधेयक पारित करने को है और न ही किसी बहस की अनुमति मिलेगी।