नयी दिल्ली, 25 अगस्त (ए) उच्चतम न्यायालय ने तबलीगी जमात के 13 विदेशी सदस्यों की याचिका पर बिहार सरकार से मंगलवार को जवाब मांगा जिसमें उन्होंने राज्य की एक ही अदालत में उनके मुकदमे चलाए जाने का अनुरोध किया है।
इन सभी सदस्यों पर वीजा नियमों के कथित उल्लंघन का आपराधिक मामला चल रहा है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा और मामले में अगली सुनवाई सोमवार को तय की।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में पीठ ने कहा कि जमात के इन 13 सदस्यों के खिलाफ मुकदमा पटना में एक ही अदालत में चलाया जा सकता है।
केंद्र की ओर से पेश हुए, सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसपर कोई आपत्ति नहीं है और मुकदमों को एक ही जगह चलाया जा सकता है, जैसा कि दिल्ली में हुआ है जहां साकेत की अदालत ऐसे सभी मामलों की सुनवाई कर रही है।
इससे पहले, केंद्र ने उच्चम न्यायालय को बताया था कि कुछ विदेशियों के खिलाफ जारी किए गए लुक आउट नोटिस को वापस ले लिया गया है। इन सदस्यों ने तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए 35 देशों के कई नागरिकों को काली सूची में डालने के सरकार के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
सॉलीसीटर जनरल ने कहा था कि जो याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत के समक्ष हैं, “वे भारत छोड़ने के लिए आजाद हैं” बशर्ते अदालत द्वारा उनकी उपस्थिति को जरूरी बताने वाले आदेश समेत कोई अन्य कार्यवाही लंबित न हो।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “सॉलीसीटर जनरल ने, पूर्ण निष्पक्षता से यह भी कहा कि अगर संबंधित याचिकाकर्ता माफी मांगते हैं, जैसा कि संबंधित आपराधिक मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उल्लेखित है तो उक्त याचिकाकर्ताओं को आपराधिक मामला लंबित रहने के बावजूद भारत छोड़ने की अनुमति दे सकती है लेकिन यह ऐसे आदेशों के अधीन होगा जिसे संबंधित निचली अदालत द्वारा पारित किया जा सकता है।”
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि उपलब्ध सूचना के अनुसार, 11 राज्यों ने तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ 205 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और अब तक 2,765 ऐसे विदेशियों को काली सूची में डाला गया है।
इसमें कहा गया कि इनमें से 2,679 विदेशियों के वीजा रद्द किए जा चुके हैं और कहा कि शेष 86 नेपाली नागरिक हैं, जिन्हें वीजा की जरूरत नहीं होती है