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भारतीय लोकतंत्र से पूरी दुनिया का लोकहित जुड़ा है, इसमें ‘बिखराव’ का असर पूरे विश्व पर पड़ेगा: राहुल गांधी

**EDS: IMAGE VIA CONGRESS ON THURSDAY, JUNE 1, 2023** California: Congress leader Rahul Gandhi speaks during an interactive session at Stanford University, in California, USA. (PTI Photo)(PTI06_01_2023_000008A)

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वाशिंगटन, दो जून (ए) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र से ‘‘पूरी दुनिया का लोकहित’’ जुड़ा है और यदि उसमें ‘‘बिखराव’’ होता है तो इसका असर पूरे विश्व पर पड़ेगा तथा यह अमेरिका के भी हित में नहीं है।.

इसके साथ ही गांधी ने कहा कि लोकतंत्र देश का आंतरिक मामला है और वह इसके खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।.

गांधी इन दिनों अमेरिका की छह दिवसीय यात्रा पर हैं।.

उन्होंने यहां बृहस्पतिवार को ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ना हमारा काम है और यह एक ऐसी चीज है, जिसे हम समझते हैं, जिसे हम स्वीकार करते हैं और हम ऐसा कर रहे हैं।’’.

गांधी ने कहा, ‘‘लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय लोकतंत्र पूरी दुनिया की भलाई के लिए है। भारत इतना बड़ा है कि यदि भारत के लोकतंत्र में बिखराव पैदा होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इसलिए यह आपको सोचना है कि भारतीय लोकतंत्र को आपको कितना महत्व देना है, लेकिन हमारे लिए यह एक आंतरिक मामला है और हम इस लड़ाई को लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम जीतेंगे।’’.

उन्होंने जाने-माने भारतीय अमेरिकी फ्रैंक इस्लाम द्वारा उनके स्वागत में आयोजित एक समारोह के दौरान भी लोकतंत्र संबंधी सवालों पर इसी प्रकार का जवाब दिया।.

गांधी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों को विस्तार देने की आवश्यकता है और ये केवल रक्षा संबंधों तक ही सीमित नहीं होने चाहिए।.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत को अपने हितों के अनुसार काम करना होगा । और यही (सोच) हमारा मार्गदर्शन करेगी…। इसलिए मैं उस निरंकुश सोच को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हूं, जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि ग्रह पर लोकतंत्र की रक्षा करना बहुत जरूरी है। इसमें भारत की भूमिका है। निश्चित रूप से चीजों को लेकर भारत का अपना नजरिया है और मुझे लगता है कि उस नजरिए को पटल पर रखा जाना चाहिए, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी को इन बातों को चीजों का केंद्र समझना चाहिए। मुझे लगता है कि ऐसा करना अहंकार होगा।’’.

गांधी ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हमें पता है कि हमारी ताकत क्या है: लोकतांत्रिक मूल्य, डेटा, प्रौद्योगिकी और बहुत पढ़ी लिखी एवं प्रौद्योगिकी स्तर पर शिक्षित जनसंख्या ऐसी कुछ चीजें हैं। ये हमारी ताकत हैं। मुझे लगता है कि हमें इनके आधार पर अपना रास्ता बनाना चाहिए।’’.

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका और भारत यदि एक साथ आ जाते हैं, तो वे बहुत शक्तिशाली बन सकते हैं। हम दुनिया को लेकर एक विशेष सोच का सामना कर रहे हैं, वह सोच दुनिया को लेकर चीनी नजरिया है, जो उत्पादकता एवं समृद्धि की बात करता है, लेकिन एक कम लोकतांत्रिक व्यवस्था में।’’.

गांधी ने कहा, ‘‘हमारे लिए यह अस्वीकार्य है, क्योंकि हम गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था में फल-फूल नहीं सकते, इसलिए हमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में उपयोगी उत्पादन एवं समृद्धि के बारे में सोचना होगा और मुझे लगता है कि ऐसी स्थिति में भारत और अमेरिका के बीच एक पुल हमारे और आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।’’.

उन्होंने एक रात्रिभोज के दौरान चीन से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि चीनी प्रणाली समृद्धि मुहैया कराती है, लेकिन वह एक गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था के जरिए ऐसा करती है।.

गांधी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पटल पर एक वैकल्पिक सोच को रखा जाना चाहिए। मेरा मानना है कि अमेरिका, भारत और अन्य लोकतंत्रों के सामने यही असल चुनौती है।’’.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हम कई बदलावों से गुजर रहे है। हम गतिशीलता में परिवर्तन, ऊर्जा में परिवर्तन, संचार में परिवर्तन देख रहे हैं। हम इन बदलावों के बारे में क्या सोचते हैं? मुझे लगता है कि ये बड़े सवाल हैं। निश्चित रूप से अमेरिका के संदर्भ में, रक्षा के क्षेत्र में हमारे बीच सहयोग है और यह बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन मेरे हिसाब से, संबंधों को और विस्तृत और व्यापक बनाना भी उतना ही जरूरी है ताकि वे और सुरक्षित हो सकें।’’.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गांधी ने दावा किया कि चीन भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है।.

उन्होंने ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में कहा, ‘‘यह एक स्वीकार्य तथ्य है। मुझे लगता है कि दिल्ली के आकार की 1,500 वर्ग किलोमीटर जमीन पर उनका कब्जा है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। लगता है कि प्रधानमंत्री कुछ और सोचते हैं। शायद वह कुछ ऐसा जानते हैं जो हमें नहीं पता।’’.

भारत सरकार ने गांधी के इस दावे का खंडन किया है।.

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