सभापति किसान के बेटे हैं तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं: खरगे

राष्ट्रीय
Spread the love

नयी दिल्ली: 13 दिसंबर (ए) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राज्यसभा में विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा, जबकि सत्ता पक्ष के लोगों को सिर्फ टीका-टिप्पणी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि सभापति जगदीप धनखड़ स्वयं को किसान का बेटा कहते हैं, जबकि वह (खरगे) भी किसान-मजदूर के ही बेटे हैं।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का जोरदार दौर चला, जिसके कारण हुए भारी हंगामे के बाद उच्च सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

खरगे ने एक बयान में कहा, ‘‘हम सदन में अपनी बात रखना चाहते हैं। हम देश को बताना चाहते हैं कि जनता के मुद्दों के लिए हम किस स्तर से अपनी बात रख रहे हैं। लेकिन हमें वक़्त ही नहीं दिया जा रहा। सत्ता पक्ष के लोग कानून के खिलाफ बात करते हैं तो उन्हें मौका दिया जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं दुख के साथ कहना चाहता हूं कि जो लोग किसी विषय पर नहीं बोलना चाहते, सिर्फ दूसरों पर टीका-टिप्पणी करने में लगे रहते हैं, उन्हें सरकार और सभापति की ओर से प्रोत्साहन मिल रहा है।’’

खरगे ने दावा किया, ‘‘मैं सदन में बोलने के लिए बार-बार खड़ा होता रहा, लेकिन सभापति ने कभी हमारे लिए गंभीरता नहीं दिखाई।’’

उन्होंने कहा कि सभापति को किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए और दोनों पक्षों को बराबरी का दर्जा देना चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘आज तक ऐसा नहीं हुआ जब सत्ता पक्ष ही सदन बंद करने के लिए आगे आता है। हम लोग शांति से सुनना चाहते हैं, चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष के लोग आसन के नजदीक आकर चिल्लाते हैं।’’

उन्होंने सभापति पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सभापति हमेशा कहते हैं कि मैं किसान का बेटा हूं। इस पर मेरा कहना है कि हम भी किसान और मजदूर के बेटे हैं। मैं कभी डरने वाला नहीं हूं। मैं अपने स्वाभिमान के लिए लड़ता रहूंगा। हम लड़ते आए हैं और यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक हमें समान अधिकार नहीं मिल जाते।’’

खरगे ने कहा, ‘‘संविधान के तहत हमें जो मिलना चाहिए, वह अगर नहीं मिला तो हम लड़ते ही रहेंगे।’’

उन्होंने सवाल किया कि अगर सत्ता पक्ष अपनी गलतियां नहीं सुधारेगा और दूसरों को बात करने का मौका नहीं देगा, तो लोकतांत्रिक तरीके से सदन कैसे चल पाएगा?