अदालत ने शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दी

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 20 सितंबर (ए)) दिल्ली की एक अदालत ने शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी ”जेन जेड वस्यक हैं जो साढे़ तीन साल से अधिक समय तक चले रिश्ते के दौरान परस्पर सहमित से सक्रिय यौन संबंध में थे।”

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरगुरवरिंदर सिंह जग्गी उस व्यक्ति के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 69 (धोखे से यौन संबंध बनाना आदि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अदालत ने 19 सितंबर के आदेश में कहा कि आरोपी की पैरवी करने वाले वकील कुशल कुमार की दलीलों पर गौर किया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप साबित नहीं होते क्योंकि दोनों लगभग चार वर्षों तक रिश्ते में थे, जिसमें दोनों ने सहमति से यौन संबंध बनाए थे। उनका रिश्ता तब खत्म हुआ जब शिकायतकर्ता ने उनके मुवक्किल (जो एक सिख है) से कहा कि यदि विवाह करना चाहते हैं तो उन्हें इस्लाम धर्म अपनाना होगा।

अदालत ने उपलब्ध साक्ष्यों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘यह किसी पक्ष का भी दावा नहीं है कि शिकायतकर्ता और आरोपी केवल ‘सिचुएशनशिप’ में थे। दोनों ‘जेन-जेड’ पीढ़ी के सहमति देने वाले वयस्क हैं, जिन्होंने अपने साढ़े तीन साल तक (डेटिंग चरण में) रिश्ते के दौरान सक्रिय रूप से यौन संबंध बनाए।’’

कैंब्रिज शब्दकोश के अनुसार सिचुएशनशिप एक ऐसा रोमांटिक संबंध होता है, जिसमें दो व्यक्ति स्वयं को औपचारिक रूप से युगल नहीं मानते, परंतु उनका आपसी रिश्ता केवल मित्रता से अधिक होता है।

अदालत ने कहा कि आरोपों के अनुसार, आरोपी ने महिला के साथ कई बार होटल के कमरों में यौन संबंध बनाए तथा वह दिसंबर 2021 से शिकायतकर्ता को लगातार धोखा देता रहा।

अदालत ने कहा, ‘‘लगभग तीन साढ़े तीन वर्षों की लंबी अवधि जिसमें दोनों पक्षों के बीच यौन संबंध बिना किसी बाधा के जारी रहे, यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इस संबंध में कभी भी दबाव, ज़ोर-जबरदस्ती या धोखे का तत्व मौजूद नहीं था।’’

इसने कहा, ‘‘सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत केस डायरी और दस्तावेजों से आरोपी और शिकायतकर्ता की तस्वीरों से पता चला कि उनके बीच घनिष्ठ संबंध थे।’’

अदालत ने उच्चतम न्यायालय के 2019 के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि सहमति से चलने वाला दीर्घकालिक संबंध और उसके बाद शादी के वादे का उल्लंघन बलात्कार नहीं माना जाएगा, जब तक कि वादा शुरू से ही झूठा न हो और सहमति को प्रोत्साहित करने वाला न हो।’’