नयी दिल्ली: 21 मई (ए)।) क्या वह ‘ड्रग माफिया’ या आतंकवादी हैं? उच्चतम न्यायालय ने सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और ओबीसी व दिव्यांगता कोटे का गलत तरीके से लाभ उठाने की आरोपी पूर्व परिवीक्षा आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देते हुए बुधवार को दिल्ली पुलिस से यह सवाल किया।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया और अपनी स्वतंत्रता का किसी भी तरह का दुरुपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्हें गवाहों को प्रभावित न करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करने का आदेश दिया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘उन्होंने कौन सा गंभीर अपराध किया है? वह कोई ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं है। उन्होंने हत्या नहीं की है। वह स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के तहत अपराधी नहीं हैं। आपके पास एक प्रणाली या सॉफ्टवेयर होना चाहिए। आप जांच पूरी करें। उन्होंने सबकुछ खो दिया है और उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिलेगी।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के तहत मांगी गई राहत की हकदार है। इसलिए, हम इस अपील को स्वीकार करते हैं और उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हैं।’’
अदालत ने उन्हें 25,000 रुपये की नकद जमानत और दो समान मुचलकों के भुगतान पर यह राहत दी। हालांकि, अदालत ने दिल्ली पुलिस को भी शर्तों के उल्लंघन के मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए आवेदन करने दायर करने की अनुमति दे दी।
खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि जांच जुलाई, 2024 से जारी है। उन्होंने जांच में अपनी मुवक्किल के पूर्ण सहयोग का हवाला दिया। बताया जाता है कि खेडकर पुलिस के सामने सात बार पेश हुईं।
लूथरा ने कहा कि उच्च न्यायालय को अपराध की प्रकृति और मामले के तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जमानत देनी चाहिए।
दिल्ली पुलिस के वकील ने जांच में खेडकर की ओर से सहयोग न मिलने का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया।
वकील ने कहा कि खेडकर ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए अपने प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाया। वकील ने कहा कि उन्होंने धोखाधड़ी से वह प्रमाण पत्र हासिल किया था।
शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करते हुए अग्रिम जमानत की उनकी याचिका पर दिल्ली सरकार और संघ लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा था।
खेडकर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया है।
उच्च न्यायालय ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।