काठमांडू: 27 सितंबर (ए)) नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ‘जेन जेड’ समूह के सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश देने के आरोपों को शनिवार को खारिज किया।
ओली ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बीच नौ सितंबर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में यह बात कही।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष ओली ने भक्तपुर जिले के गुंडू क्षेत्र में अपने निजी आवास पर पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “मैंने आंदोलन के दौरान ‘जेन जेड’ प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया।”
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद अपने पहले बयान में ओली ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित बंदूकों से गोलियां चलाई गईं, जो पुलिस के पास थीं ही नहीं। उन्होंने मामले की जांच की मांग की थी।
ओली ने नौ सितंबर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कहा था, “जेन जेड प्रदर्शनकारियों के नाम पर की गई आगजनी और हिंसा के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए।” उन्होंने कहा था कि प्रदर्शनकारियों की मौत की खबर सुनकर वह “दुखी” हैं।
आठ सितंबर को आंदोलन के पहले दिन पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। दो दिन के हिंसक विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुल 75 लोग मारे गए।
ओली ने सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार “संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से नहीं, बल्कि आगजनी और तोड़फोड़ के माध्यम से” बनाई गई है।
कार्की के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का गठन 12 सितंबर को हुआ, जिससे ओली सरकार के पतन के बाद कई दिनों से जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हो गई।
ओली ने दावा किया कि ‘जेन जेड’ की ओर से शुरू किए गए आंदोलन में “घुसपैठ” की जा रही है, जिससे उन्हें “दरकिनार” किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “नयी पीढ़ी के लोगों ने निश्चित रूप से ‘सिंह दरबार’ (मुख्य सरकारी सचिवालय परिसर) में आग नहीं लगाई।”
‘जेन जेड’ समूह के नेतृत्व में हुए आंदोलन के दौरान नेताओं के घरों, संसद सहित महत्वपूर्ण सरकारी भवनों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को आग लगा दी गई।
विरोध-प्रदर्शन के दौरान उग्र भीड़ ने प्रधानमंत्री के बालुवतार स्थित सरकारी आवास में घुसकर तोड़फोड़ की, जिसके बाद ओली को नेपाली सेना के पास शरण लेनी पड़ी।
अपदस्थ प्रधानमंत्री ने मांग की कि सरकार उन्हें सुरक्षा प्रदान करे। उन्होंने कहा कि अगर वे अन्य सुविधाएं वापस लेने का फैसला लेते हैं, तो कम से कम नेताओं को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
अंतरिम सरकार की शीर्ष नेताओं के पासपोर्ट जब्त करने की योजना संबंधी खबरों पर ओली ने कहा, “हम देश छोड़कर नहीं भागेंगे। हमें कानून-व्यवस्था बहाल करके और संविधान को सही रास्ते पर लाकर देश का निर्माण करना है।”
उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल अकेले ही देश को “सही रास्ते” पर ला सकती है।
इस बीच, गृह मंत्रालय ने शनिवार को एक नोटिस जारी कर सभी पक्षों से हिंसक और उत्तेजक गतिविधियों में शामिल न होकर शांतिपूर्ण माहौल बनाने में मदद करने का आग्रह किया, क्योंकि चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है।
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद पौडेल ने घोषणा की कि देश में चुनाव पांच मार्च 2026 को आयोजित होंगे।