नयी दिल्ली: एक जून (ए)।) दिल्ली उच्च न्यायालय ने साप्ताहिक रेजिमेंटल धार्मिक परेड में पूरी तरह से भाग लेने से लगातार इनकार करने पर एक ईसाई सैन्य अधिकारी की सेवा समाप्त किये जाने के आदेश को बरकरार रखा और कहा है कि सशस्त्र बल धार्मिक रूप से विभाजित होने के बजाय अपनी वर्दी के आधार पर एकजुट होते हैं।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने तीन मार्च, 2021 के आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत उन्हें पेंशन और ग्रेच्युटी के बिना भारतीय सेना से बर्खास्त कर दिया गया था। याचिका दायर करने वाले लेफ्टिनेंट ने एक स्क्वाड्रन के ‘ट्रूप लीडर’ के रूप में काम किया था।