न्याय लोगों के द्वार तक पहुंचना चाहिए, सत्ता के गलियारे तक सीमित नहीं रहना चाहिए : सीजेआई गवई

राष्ट्रीय
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ईटानगर: 10 अगस्त (ए)) प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का अस्तित्व केवल लोगों की सेवा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि न्याय शीघ्रता से और न्यूनतम खर्च पर मिले।

उन्होंने यहां गुवाहाटी उच्च न्यायालय की ईटानगर स्थायी पीठ के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘मैं हमेशा से विकेंद्रीकरण का प्रबल समर्थक रहा हूं। न्याय लोगों के दरवाजे तक पहुंचना चाहिए।’’न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘न तो न्यायालय, न न्यायपालिका, न ही विधायिका, राजघरानों, न्यायाधीशों या कार्यपालिका के सदस्यों के लिए हैं। हम सभी लोगों को न्याय देने के लिए मौजूद हैं।’’

उन्होंने न्याय को और अधिक सुलभ बनाने के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों की सराहना की।

अरुणाचल प्रदेश की विविधता में एकता की सराहना करते हुए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से ज्यादा उप-जनजातियां हैं तथा सरकार ने हर जनजाति की परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘देश को प्रगति करनी चाहिए, लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराओं की कीमत पर नहीं। संविधान के तहत इनका संरक्षण हमारा एक मौलिक कर्तव्य है।’’

पिछले दो वर्षों में कई पूर्वोत्तर राज्यों की अपनी यात्राओं को याद करते हुए, न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि वह वहां की जीवंत आदिवासी संस्कृति से ‘‘मंत्रमुग्ध’’ हो गए थे।

हाल ही में संघर्षग्रस्त मणिपुर के आश्रय गृहों के दौरे का जिक्र करते हुए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वहां एक महिला ने मुझसे कहा, ‘आपका अपने घर में स्वागत है’। यह बात मेरे दिल को छू गई क्योंकि हम सभी के लिए भारत एक है और सभी भारतीयों के लिए भारत ही उनका घर है।’’