लखनऊ,24 जुलाई (ए)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सीतापुर में प्राथमिक विद्यालयों के यथावश्यक विलय पर 21 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।
अदालत ने सीतापुर जिले के विद्यालयों के विलय में ‘स्पष्ट विसंगतियां’ पाये जाने पर यह आदेश दिया।
पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि अंतरिम आदेश का विद्यालयों के विलय की सरकार नीति के औचित्य और उसके क्रियान्वयन से कोई लेना-देना नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने अलग-अलग दायर की गई दो विशेष अपीलों पर यह अंतरिम आदेश दिया।
एकल पीठ के सात जुलाई को दिये आदेश के खिलाफ ये विशेष अपीलें दायर की गई हैं।
एकल पीठ ने राज्य सरकार के 16 जून के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
अपीलकर्ताओं ने दलील दी कि इन विद्यालयों के विलय बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 और संविधान के अनुच्छेद 21-ए का उल्लंघन करता है।
पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि एकल न्यायाधीश ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत कुछ दस्तावेजों पर भरोसा किया था, चूंकि ये दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं थे इसलिए राज्य के वकील ने उन्हें हलफनामे के रूप में प्रस्तुत किया।
पीठ ने हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए अपीलकर्ताओं के वकील से अगली सुनवाई तक इन पर भी जवाब देने को कहा।
पीठ ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा, “क्योंकि अदालत ने सीतापुर में विद्यालयों के परस्पर विलय में कुछ स्पष्ट विसंगतियां देखी हैं और प्रतिवादियों से उन पर स्पष्टीकरण मांगा गया है इसलिये सुनवाई की अगली तारीख तक केवल सीतापुर जिले के संबंध में विलय की प्रक्रिया के क्रियान्वयन पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया गया।”
राज्य सरकार ने 50 से कम विद्यार्थियों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का पास के ही ऐसे अन्य विद्यालयों में विलय करने के आदेश दिये हैं।
इस नीति के तहत राज्य भर के 1.3 लाख सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में से 10 हजार से ज्यादा विद्यालयों का विलय किया जाना है।
विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की निंदा की है।