नयी दिल्ली: 11 नवंबर (ए)
) दिल्ली की एक अदालत ने 2015 में पांच साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में एक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष सभी बिंदुओं को जोड़कर आरोपी के अपराध को साबित करने के लिए घटनाओं की पूरी कड़ी स्थापित करने में सफल रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप गुप्ता उस व्यक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसके खिलाफ अपहरण, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने और गंभीर यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।न्यायमूर्ति गुप्ता ने 29 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा कि नाबालिग पीड़िता की ओर से बताया गया यह घटनाक्रम साबित होता है कि जब वह पार्क में खेल रही थी, तो आरोपी ने उसे मिठाई दी, अपने घर ले गया और फिर उसका यौन उत्पीड़न किया।
उन्होंने कहा, “यह सामान्य बात है कि मामूली विरोधाभास या विशेषण, जो आरोपों के आधार को प्रभावित नहीं करते, यौन उत्पीड़न की पीड़िता की गवाही को खारिज करने का आधार नहीं होना चाहिए, क्योंकि अदालत आमतौर पर अभियोजन पक्ष के मामले के व्यापक पहलू और गवाह की समग्र विश्वसनीयता पर ध्यान केंद्रित करती है।”
न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि नाबालिग पीड़िता और उसकी मां ने घटना का पर्याप्त और संतोषजनक विवरण दिया है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह सिद्ध कर दिया है कि आरोपी ने बच्ची का यौन उत्पीड़न किया था, जिससे यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 10 के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध बनता है।
न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि बच्ची के अपहरण और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के अपराध भी साबित कर दिए गए हैं। उन्होंने व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए सजा पर बहस के लिए मामले की सुनवाई आगे की तारीख के लिए स्थगित कर दी।