पुणे: 28 मई (ए) भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान सोशल मीडिया पर भारत सरकार की आलोचना के कारण 15 दिन से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद, मंगलवार की रात जब एक छात्रा जेल से बाहर आई तो वह और उसके परिवार के सदस्य भावुक हो गए।
बंबई उच्च न्यायालय ने 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा को जमानत दी थी, तथा “उसका जीवन बर्बाद करने” तथा उसे “कट्टर अपराधी” के तौर पर देखने के लिए महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी।छात्रा के वकील के अनुसार, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उसे मंगलवार रात यरवदा केंद्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया।
सरकार और उसके शैक्षणिक संस्थान दोनों को फटकार लगाते हुए अदालत ने मंगलवार को अपने आदेश में ‘सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग’ द्वारा जारी लड़की के निष्कासन आदेश को भी निलंबित कर दिया।
मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की रहने वाली यह छात्रा सिंहगढ़ तकनीकी शिक्षा सोसाइटी से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (सूचना प्रौद्योगिकी) डिग्री कोर्स करने के लिए 2023 में पुणे गई थी।
सात मई को लड़की ने ‘इंस्टाग्राम’ पर ‘रिफॉर्मिस्तान’ नामक अकाउंट से एक पोस्ट साझा की, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के समय भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान भारत सरकार की आलोचना की गई थी।
दो घंटे के अंदर ही उसे अपनी गलती का एहसास हो गया और उसे धमकियां भी मिलने लगी थी जिसके बाद उसने पोस्ट हटा दी।
पुणे की कोंढवा पुलिस ने नौ मई को उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया। बाद में लड़की को न्यायिक हिरासत के तहत यरवदा जेल में रखा गया।
इसके बाद उसने अपनी वकील फरहाना शाह के माध्यम से उच्च न्यायालय का रुख करके निष्कासन आदेश को चुनौती दी तथा प्राथमिकी को रद्द करने व जमानत पर रिहा करने की भी मांग की। मंगलवार को उच्च न्यायालय ने लड़की के सोशल मीडिया पोस्ट पर सरकार की ‘बेहद चौंकाने’ वाली और ‘कट्टर’ प्रतिक्रिया की कड़ी आलोचना की।
अदालत ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, जिससे अपनी कॉलेज परीक्षाओं में शामिल हो सके।
शाह ने बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार लड़की को मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे जेल से रिहा कर दिया गया।
वकील ने बताया कि उस समय लड़की का परिवार जेल के बाहर मौजूद था।
अदालत ने शैक्षणिक संस्थान को लड़की को ‘हॉल टिकट’ उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया ताकि वह परीक्षा दे सके।
न्यायालय ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो कॉलेज उसे सुरक्षा प्रदान करे तथा परीक्षा देने के लिए उसके लिए अलग कक्षा की व्यवस्था करे।
न्यायालय ने पुलिस से यह भी कहा कि वह सुनिश्चित करे कि लड़की द्वारा व्यक्त किए गए भय को देखते हुए, जब वह कॉलेज जाए तो उसे पर्याप्त पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए।
शाह ने कहा कि लड़की बुधवार को कॉलेज जाकर अपना हॉल टिकट लेगी और अन्य औपचारिकताएं पूरी करेगी ताकि वह आगामी दिनों में अपनी शेष परीक्षाएं दे सके।
वकील ने कहा कि गिरफ्तारी के कारण छात्रा दो पेपर देने से चूक गई। उसने कॉलेज को विशेष मामले के रूप में दो पेपर देने की अनुमति देने के लिए उच्च न्यायालय से निर्देश मांगा था।
कॉलेज ने कहा कि वह ऐसा करने का निर्णय नहीं ले सकता क्योंकि परीक्षाएं पुणे स्थित विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की गई थीं।
इसके बाद अदालत ने लड़की को विश्वविद्यालय से ऐसी अनुमति मांगने के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति दी।
छात्र को भविष्य में जिम्मेदारी से पेश आने और ऐसे पोस्ट अपलोड करने से बचने की चेतावनी देते हुए, उच्च न्यायालय ने स्थिति से निपटने के सरकार के तरीके पर कड़ी टिप्पणी की थी।