प्रयागराज, 14 दिसम्बर (ए)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि होमगार्ड कानून व्यवस्था कायम रखने में पुलिस का सहयोग करने के लिए हैं यदि वे स्वयं अपराध करें तो उन्हें सेवा मे बने रहने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि होमगार्ड कानून के तहत कदाचार की दशा में विभागीय जांच कराने का प्रावधान नहीं है। शासनादेश से सुनवाई का मौका देने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में आपराधिक मुकदमे लिप्त होमगार्ड को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब सुनने के बाद उसकी बर्खास्तगी विधि विरुद्ध नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने सोनभद्र के हृदय नारायण यादव व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि होमगार्ड की सेवा अन्य सेवाओं के भिन्न है। आपराधिक मुकदमे में बरी होने के बाद ही सेवा में लिया जा सकता है। इसी के साथ कोर्ट ने आपराधिक मुकदमे मे लिप्त याची होमगार्डों की बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। याचिका में जिला कमांडेंट होमगार्ड के 18 नवम्बर 2019 के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचियों के खिलाफ आपराधिक मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। जिसपर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
