प्रयागराज: दो जून (ए)।)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 273.5 करोड़ रुपये के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जुर्माने को चुनौती देने वाली पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने यह रिट याचिका खारिज करते हुए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की यह दलील खारिज कर दी कि इस तरह के जुर्माने से आपराधिक देयता बनती है और इसे आपराधिक मुकदमे के बाद ही लगाया जा सकता है।अदालत ने कहा कि कर अधिकारी दीवानी मुकदमों के जरिए जीएसटी अधिनियम की धारा 122 के तहत जुर्माना लगा सकते हैं। निर्णय में यह भी कहा गया कि जीएसटी जुर्माने की कार्यवाही की प्रकृति दीवानी होती है।
अदालत ने कहा, “विस्तृत विश्लेषण के बाद यह साफ है कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 122 के तहत कार्यवाही न्याय निर्णय अधिकारी द्वारा की जाती है और इसके लिए मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है।”
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, हरिद्वार (उत्तराखंड), सोनीपत (हरियाणा) और अहमदनगर (महाराष्ट्र) में तीन इकाइयों का परिचालन करती है। यह कंपनी उस समय जांच के घेरे में आई, जब अधिकारियों को इस फर्म द्वारा संदिग्ध लेनदेन के बारे में सूचना मिली जिसमें अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का उपयोग किया गया था।जांच के बाद पतंजलि पर यह आरोप है कि वह वस्तुओं की वास्तविक आपूर्ति के बगैर कागज पर ही कर चालान दिखा रही है। इसके बाद वस्तु एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय, गाजियाबाद ने 19 अप्रैल 2024 को एक कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 273.51 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया जिसे कंपनी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 29 मई के निर्णय में पतंजलि की याचिका खारिज कर दी।