अंतरिम समिति बांकेबिहारी मंदिर के लिए भूमि खरीद के वास्ते बातचीत कर सकती है : शीर्ष न्यायालय

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: नौ अगस्त (ए)) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के दैनिक कार्यों के प्रबंधन के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित अंतरिम समिति भूमि खरीद के लिए बातचीत सहित धार्मिक स्थल के समग्र विकास की योजना बनाने का प्रयास करेगी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि समिति उत्तर प्रदेश सरकार के बांके बिहारी मंदिर न्यास अध्यादेश की वैधता को उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाली कार्यवाही के अंतिम परिणाम के अधीन काम करेगा। अध्यादेश प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल का प्रशासनिक नियंत्रण सरकार के नियंत्रण में रखने का प्रावधान करता है।पीठ ने कहा, ‘‘समिति मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र के समग्र विकास की योजना बनाने का प्रयास करेगी, जिसके लिए वह निजी तौर पर आवश्यक भूमि की खरीद के लिए बातचीत कर सकती है।’’

शीर्ष अदालत ने 12 सदस्यीय समिति के कार्य निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘यदि ऐसी कोई बातचीत सफल नहीं होती है तो राज्य सरकार को कानून के अनुसार आवश्यक भूमि अधिग्रहण के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया जाता है।’’

समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार होंगे जबकि अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्रा, मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश और सिविल न्यायाधीश, मथुरा के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मथुरा के नगर आयुक्त, मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक प्रसिद्ध वास्तुकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक प्रतिनिधि और दोनों पक्षों के गोस्वामी समूहों से दो-दो व्यक्ति शामिल होंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि समिति में गोस्वामियों का प्रतिनिधित्व करने वाले चार सदस्यों के अलावा, किसी अन्य गोस्वामी या सेवायत को मंदिर के महत्वपूर्ण कार्यों के प्रबंधन में किसी भी तरह से हस्तक्षेप या बाधा डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय पूजा/सेवा करने और देवता को प्रसाद चढ़ाने के।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति का कार्यालय मथुरा में होगा और जिला उपायुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा राज्य सरकार के धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वे समिति के अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले निर्देशों और सिफारिशों का सावधानीपूर्वक पालन करें।