नयी दिल्ली: 19 अक्टूबर (ए)
) दिल्ली की एक अदालत ने पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि लगभग 500 पृष्ठों का आवेदन पत्र ‘‘बहुत लंबा और विस्तृत’’ है और इसे पढ़ने में ‘‘न्यायपालिका के कीमती समय की बर्बादी होगी।’’
विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार ने एक ऐसे अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की जिसके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अदालत ने 17 अक्टूबर के आदेश में कहा कि अभियुक्त के वकील ने अनुलग्नकों समेत लगभग 500 पृष्ठों की एक ‘‘बहुत लंबी’’ जमानत याचिका तैयार की थी और न्यायाधीश ‘‘पुराने मामलों के निपटारे के बोझ तले दबे हुए हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह याचिका बहुत लंबी और विस्तृत होने के कारण खारिज की जाती है और (क्योंकि) इस पर विचार करने में न्यायिक समय की बर्बादी होगी।’’
अदालत ने अभियुक्त के वकील को याचिका संक्षिप्त करने की सलाह देते हुए कहा कि वह एक नयी याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।