नयी दिल्ली: एक दिसंबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से धमकी मिलने का दावा करते हुए चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा, “आपको कौन धमकी दे रहा है? लॉरेंस बिश्नोई उत्तर प्रदेश में भी काम करता है?”वकील ने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता चौबीसों घंटे सुरक्षा की मांग कर रहा है। जब पीठ ने कहा कि बिश्नोई गिरोह राजस्थान और पंजाब में सक्रिय है, तो वकील ने कहा, “वह हर जगह सक्रिय है। केवल भारत में ही नहीं।” पीठ ने कहा कि सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है और इसके लिए जिला-स्तरीय, राज्य-स्तरीय और संभाग-स्तरीय समितियां हैं। पीठ ने कहा, “वे इससे निपटेंगे।”उसने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत संबंधित उच्च न्यायालय में ले जाने को कहा। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद समिति ने उनके प्रतिवेदन पर विचार किया और उसे खारिज कर दिया। पीठ ने कहा, “आप इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दें।” जब पीठ ने याचिका पर विचार करने में अनिच्छा दिखाई, तो वकील ने कहा कि वह इसे वापस ले लेंगे। पीठ ने उन्हें कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपाय का लाभ उठाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी। राज्य को पहले सौंपे गए अपने प्रतिवेदन में याचिकाकर्ता ने सुरक्षा की मांग करते हुए कहा था कि उसे लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जान से मारने की धमकी मिली है। कई मामलों में आरोपी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई वर्तमान में हिरासत में है। सूत्रों के अनुसार, बिश्नोई गिरोह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में सक्रिय है।