नयी दिल्ली: छह फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह अपने 2004 के फैसले की वैधता की पड़ताल करेगा जिसमें कहा गया था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आगे उप-वर्गीकृत करने की शक्ति नहीं है।प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि वह आंकड़ों से संबंधित तर्कों में नहीं जाएगी जिसके कारण पंजाब सरकार ने आरक्षण के अंदर 50 प्रतिशत कोटा प्रदान किया था।
