पटना: 15 नवंबर (ए)
) बिहार विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अब सरकार गठन की तैयारियों में जुट गया है। शनिवार को गठबंधन दलों के नेता मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात के लिए एक-एक कर यहां उनके सरकारी आवास पहुंचे।
इनमें केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी शामिल रहे, जो इस संभावना से उत्साहित हैं कि उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) भी राज्य सरकार का हिस्सा हो सकती है।
पासवान ने पत्रकारों से कहा, “मैंने नीतीश कुमार जी को विजय की बधाई दी। राजग की इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि हमारे बीच किसी तरह का मतभेद नहीं था। चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने उन सीट पर भी प्रचार किया जहां हमारे प्रत्याशी थे। हमने भी में जदयू प्रत्याशी का समर्थन किया, जो हमारा गृह क्षेत्र माना जाता है।”
खगड़िया जिले में सुरक्षित (अनुसूचित जाति) सीट अलौली कभी चिराग के दिवंगत पिता राम विलास पासवान के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है। बाद में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने भी इस सीट का कई बार प्रतिनिधित्व किया था। पशुपति कुमार पारस से परिवार की दूरी अब जगजाहिर है।
इस बार जदयू के रामचंद्र सदा ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मौजूदा विधायक राम वृक्ष सदा को हराकर यह सीट अपने नाम की, जबकि पारस के बेटे यश राज अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी से पहली बार चुनाव लड़ते हुए तीसरे स्थान पर रहे।
उपमुख्यमंत्री पद को लेकर पूछे गए प्रश्न पर चिराग पासवान ने कहा, “मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का चयन सभी विधायक मिलकर तय करते हैं।”
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, “व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि नीतीश कुमार जी को ही सरकार का नेतृत्व जारी रखना चाहिए।”
करीब 75 वर्ष की आयु के नीतीश कुमार पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य कारणों से परेशान रहे हैं, हालांकि चुनाव अभियान में उन्होंने पूरी मजबूती से हिस्सा लिया।
जदयू 85 सीट जीतकर, भाजपा (89 सीट) के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। भले ही नीतीश कुमार स्वयं चुनाव मैदान में नहीं थे, लेकिन इन परिणामों को उनके नेतृत्व पर जनमत-संग्रह के रूप में देखा जा रहा है।
राजग के अन्य सहयोगी, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के नेता संतोष कुमार सुमन ने भी कहा कि नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए। संतोष कुमार सुमन केंद्रीय मंत्री और गया से सांसद जीतन राम मांझी के पुत्र हैं।
जदयू प्रमुख से मुलाकात के बाद सुमन ने कहा, “मेरा मानना है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे। अगले दो-तीन दिनों में सब तय हो जाएगा।”
मुख्यमंत्री निवास पहुंचने वालों में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव भी शामिल थे, जिनकी राजनीतिक वापसी इस बार दानापुर विधानसभा सीट से जीत के साथ हुई है।
उपमुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम सामने आने की अटकलों पर उन्होंने आश्चर्य जताया और कहा कि भाजपा यादव मतदाताओं पर राजद का एकाधिकार तोड़ने हेतु उन्हें आगे बढ़ा रही है, इस तरह की चर्चा महज कयास है।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के कभी करीबी रहे रामकृपाल ने तेजस्वी यादव के उस दावे पर भी कटाक्ष किया कि 18 नवंबर को ‘इंडिया’ गठबंधन सरकार बनाएगा। उन्होंने कहा, “यह सब दिवास्वप्न हैं।”
उन्होंने तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्या के हालिया राजनीतिक त्यागपत्र पर टिप्पणी करने से इनकार किया। रोहिणी ने परिवार से दूरी बनाने की घोषणा कर इसका ठीकरा तेजस्वी के दो करीबी सहयोगियों पर फोड़ा है।
इस बीच भाजपा ओबीसी राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने रोहिणी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पिता को बचाने के लिए किडनी दिया था और अब वह एवं मीसा भारती दोनों अपने पिता की पार्टी की कमान संभालने के लिए आगे आएं।
राजद पिछले विधानसभा में सबसे बड़ा दल था लेकिन इस बार वह 30 से कम सीट पर सिमट गया है। यह खराब प्रदर्शन तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी सवाल उठाता है।
उधर, चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाने वाली प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने दावा किया कि उसके कई समर्थकों ने राजद के “जंगल राज” लौट आने के डर से राजग को वोट दे दिया।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह ने आरोप लगाया कि दिल्ली में लालकिला के समीप हुए विस्फोट के बाद ध्रुवीकरण और सरकार की ओर से “योजनाओं” एवं नकद अंतरण ने भी राजग के बेहतर प्रदर्शन में योगदान दिया।