बाराबंकी (उप्र): दो सितंबर (ए)) उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित एक निजी विश्वविद्यालय में बिना मान्यता के पाठ्यक्रम संचालित किए जाने का आरोप लगा प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों की पुलिस से झड़प हो गई और इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घटना का संज्ञान लिये जाने के बाद शहर कोतवाल को लाइन हाजिर कर दिया गया है और पुलिस क्षेत्राधिकारी को हटा दिया गया।विद्यार्थियों का आरोप है कि श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय ने उन्हें एक ऐसे विधि पाठ्यक्रम में दाखिला दिलाया, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं है, ऐसे में उनका भविष्य खतरे में आ गया है।
पुलिस ने बताया कि इसी को लेकर सोमवार को विद्यार्थी प्रदर्शन कर रहे थे और इस दौरान विद्यार्थियों ने पास की एक पुलिस चौकी और परिसर में तोड़फोड़ की।
उसने बताया कि हिसंक भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों पर बर्बरतापूर्ण तरीके से लाठीचार्ज करते दिखाई दे रहे हैं। इस झड़प में कई छात्र घायल हुए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लिया है और उनके आदेश पर संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी हर्षित चौहान को हटा दिया गया है। इसके अलावा शहर कोतवाल रामकिशन राणा को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
राज्य सरकार द्वारा लखनऊ में जारी एक बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने अयोध्या के मंडलायुक्त को बाराबंकी के श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय की डिग्री की वैधता की जांच के आदेश दिए हैं।
बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने अयोध्या क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की घटना की जांच के आदेश भी दिए हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तर) विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण है।
इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसके विधि पाठ्यक्रम को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से पूरी तरह मान्यता प्राप्त है।
विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार प्रोफेसर नीरजा जिंदल ने कुछ लोगों पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दी गई मान्यता को लेकर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2022–23 के लिए अनुमोदन दस्तावेज अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं। विश्वविद्यालय ने 2027 तक संबद्धता शुल्क का भुगतान भी कर दिया है।’’
इस प्रदर्शन में भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भी शामिल हुआ।
संगठन के पदाधिकारी आकाश शुक्ला ने आरोप लगाया, ‘‘अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे विद्यार्थियों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा। घायल हुए छा छात्रों को मेयो अस्पताल और दो को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।’’
इस घटना से नाराज एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने सोमवार रात शशांक त्रिपाठी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया, उनका पुतला दहन किया और बाद में पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक मार्च कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
परिषद के अवध प्रांत सचिव पुष्पेंद्र बाजपेयी ने कहा, ‘‘विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक विश्वविद्यालय के कुलपति स्वयं छात्रों से बात करने के लिए आगे नहीं आते, निष्कासित छात्रों को सम्मानपूर्वक बहाल नहीं किया जाता और लॉ डिग्री की मान्यता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम छात्र हितों के खिलाफ किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’