प्रयागराज: दो सितंबर (ए)) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक उपयोगिता और ग्राम सभा की भूमि पर व्यापक अतिक्रमण की जानकारी देते हुए जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता की पिटाई के मामले को गंभीरता से लिया है और संतकबीर नगर के वरिष्ठ अधिकारियों को याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने निर्देश पारित करते हुए उन व्यक्तिगत प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किए, जिन्होंने कथित तौर पर सार्वजनिक उपयोगिता और ग्राम सभा की जमीन पर अतिक्रमण किया था।अदालत ने जनहित याचिका (पीआईएल) को नए सिरे से सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की।
कमल नारायण पाठक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा, ‘यदि बड़े पैमाने पर समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों की जानकारी देने के लिए आगे आने वाले जनहितैषी व्यक्तियों की आवाज गुंडे, बाहुबली और असामाजिक तत्व दबा दें, तो समाज में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी देने वाला कोई नहीं होगा।”
याचिकाकर्ता ने संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद तहसील के उमिला बुद्ध कलां गांव में व्यक्तिगत प्रतिवादियों द्वारा सार्वजनिक उपयोगिता और ग्राम सभा की भूमि पर व्यापक अतिक्रमण की सूचना दी थी।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जब वह अपना काम कर रहा था, तो भूमि पर अतिक्रमण को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे लोगों ने दुर्व्यवहार किया, धमकाया और पीटा।
अदालत ने 29 अगस्त के अपने आदेश में याचिकाकर्ता के साथ दुर्व्यवहार के आरोपों को गंभीरता से लिया और निर्देश पारित किए।