पत्नी की हत्या, बेटी से दुष्कर्म के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: तीन जून (ए)।) दिल्ली की एक अदालत ने पत्नी की हत्या और नाबालिग बेटी का यौन शोषण करने के प्रयास के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिवानी चौहान ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि आरोपी ने अपनी पत्नी की हत्या उस समय की जब उसने अपनी बेटी का यौन शोषण करने पर आपत्ति जताई।

अदालत आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

आरोपी ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी कि उसे फंसाया गया है और उसकी बेटी ने कथित हत्या होते हुए नहीं देखा है।

पुलिस के अनुसार, आरोपी ने 2023 में सात और आठ नवंबर की दरमियानी रात के दौरान अपनी नाबालिग बेटी के सारे कपड़े जबर उतारे और उसके साथ मारपीट करने का प्रयास किया लेकिन बच्ची की मां ने उसे ऐसा करते हुए पकड़ लिया और शोर मचाया, जिसके बाद दोनों के बीच कहासुनी हो गयी।

पुलिस ने बताया कि अगली सुबह दोनों के बीच फिर से तीखी बहस हुई और इस दौरान आरोपी ने पत्नी का कथित तौर पर गला घोंट दिया।

सरकारी वकील अरुण केवी ने जमानत याचिका का विरोध किया और दलील दी कि यह मामला एक जघन्य अपराध से जुड़ा है, जिसमें एक मां को अपने बच्चे को यौन उत्पीड़न से बचाते समय मार दिया गया।

अभियोजक ने कहा कि भले ही हत्या का कोई प्रत्यक्ष चश्मदीद गवाह नहीं है लेकिन मामले में पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य, स्वतंत्र गवाह और मामले के विभिन्न पहलू आरोपी को अपराध से जोड़ते हैं।

अदालत ने 31 मई को अपने आदेश में कहा, “बच्ची ने स्पष्ट रूप से गवाही दी कि उसकी मां ने उसे बताया था कि उसका पिता उसके कपड़े उतारने और उसके साथ गलत काम करने की कोशिश कर रहा था। पीड़िता, नौ साल की बच्ची है और उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह उस गलत काम की प्रकृति को समझेगी, जिससे उसकी मां उसे बचाने की कोशिश कर रही थी।”

अदालत ने कहा कि आरोपी अपनी बेटी का यौन शोषण करने की कोशिश कर रहा था, तभी उसकी मां ने उसे ऐसा करने से रोका, जिसके बाद दोनों के बीच झगड़ा हुआ और अगली सुबह जब बेटी अपने रोते हुए भाई को शांत करने के लिए कमरे से बाहर गई, तो आरोपी ने ‘मौके का फायदा उठाया’ और पत्नी का गला घोंट दिया।

अदालत ने कहा, “इसके तुरंत बाद पिता या आरोपी लापता हो गया। आरोपी के बाद के आचरण सहित पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं, जो यह दिखाने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त हैं कि उसने अपनी पत्नी की हत्या तब की, जब उसने अपनी नौ वर्षीय नाबालिग बच्ची का यौन शोषण करने पर आपत्ति जताई।”

न्यायाधीश ने अपराध की गंभीरता और आरोपी को राहत दिए जाने पर अपनी बेटी को नुकसान पहुंचाने की आशंका को रेखांकित किया।

अदालत ने कहा, “आरोपी को जमानत दिए जाने का कोई आधार नहीं बनता। जमानत याचिका खारिज की जाती है।”