नकदी बरामदगी विवाद : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार जांच समिति में शामिल

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 12 अगस्त (ए)) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा गठित तीन-सदस्यीय समिति में शामिल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार 16 वर्षों से अधिक समय से संवैधानिक अदालतों के न्यायाधीश रहे हैं।

बिरला ने मंगलवार को न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए दिया गया नोटिस स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें न्यायमूर्ति कुमार के अलावा मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मणींद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वी. आचार्य शामिल हैं।न्यायमूर्ति कुमार ने 13 फरवरी, 2023 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह 13 जुलाई, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।

उन्होंने इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था और 13 अक्टूबर, 2021 को पदभार ग्रहण किया था।

न्यायमूर्ति कुमार को 26 जून, 2009 को कर्नाटक उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, जबकि सात दिसंबर, 2012 को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गई।

चौदह जुलाई 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति कुमार ने 1987 में वकालत शुरू की और 1999 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता नियुक्त हुए।

उन्हें 2005 में भारत का सहायक सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया।

लोकसभा में समिति की घोषणा करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगे ‘‘गंभीर’’ आरोपों के मद्देनजर उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

बिरला ने कहा, ‘‘समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का प्रस्ताव जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक लंबित रहेगा।’’

उच्चतम न्यायालय ने सात अगस्त को न्यायमूर्ति वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने नकदी बरामदगी मामले में कदाचार का दोषी पाए जाने वाली आंतरिक जांच रिपोर्ट को अमान्य करने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति वर्मा के राष्ट्रीय राजधानी स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने के बाद 14 मार्च को अधजले नोटों की गड्डियां बरामद की गई थीं।