रायपुर: 31 मई (ए) छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाले मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो निलंबित अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय में पदस्थ रहीं अधिकारी समेत छह लोग शनिवार को जेल से रिहा हो गए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता फैजल रिजवी ने संवाददाताओं को बताया कि आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और रानू साहू, पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के रूप में तैनात रहीं सौम्या चौरसिया तथा तीन अन्य को जमानत मिलने के बाद आज रायपुर केंद्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया।
रिजवी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने कुल आठ लोगों को अंतरिम जमानत दी है। उनमें से अब तक छह लोगों को रिहा कर दिया गया है, जबकि दो अन्य सूर्यकांत तिवारी और निखिल चंद्राकर को उनके खिलाफ लंबित अन्य मामलों के कारण रिहा नहीं किया गया है।
वर्ष 2022 से कथित कोयला वसूली घोटाले में धन शोधन के पहलू की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने अक्टूबर 2022 में विश्नोई को तथा उसी वर्ष दिसंबर में चौरसिया को गिरफ्तार किया था। ईडी ने साहू को जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया था।
रिजवी ने कहा कि तीनों अधिकारियों को कथित कोयला शुल्क घोटाले से संबंधित दो मामलों में अंतरिम जमानत दी गई है।
बृहस्पतिवार (29 मई) को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अंतरिम जमानत देते हुए आरोपियों पर कई शर्तें लगाईं और राज्य सरकार से गवाहों में भरोसा पैदा करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।
इसने कहा कि आरोपी रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, समीर विश्नोई और सौम्या चौरसिया को निर्देश दिया जाता है कि वे अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे, सिवाय इसके कि वे आवश्यकता पड़ने पर जांच एजेंसी या निचली अदालत के समक्ष उपस्थित रहेंगे।
पीठ ने उनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया, ‘‘उन्हें (आरोपियों को) रिहा होने के एक सप्ताह के भीतर उस थाने को अपने निवास का पता देने का निर्देश दिया जाता है, जिसके क्षेत्राधिकार में वह छत्तीसगढ़ के बाहर रह रहे हैं।’’
जांच एजेंसियों के अनुसार, वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों (पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान) से जुड़े एक गिरोह द्वारा राज्य में परिवहन किए जाने वाले प्रत्येक टन कोयले पर 25 रुपये प्रति टन की अवैध उगाही की जा रही थी।
एजेंसियों के अनुसार सूर्यकांत तिवारी जैसे निजी व्यक्तियों और सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई जैसे राज्य सरकार के पदाधिकारियों, राज्य खनन अधिकारियों के एक गिरोह ने कुछ राजनीतिक लोगों के समर्थन से कथित तौर पर खनिज परिवहन में जानबूझकर नीतिगत बदलाव किए।
उन्होंने कहा कि डायरियों के अनुसार, जुलाई 2020 और जून 2022 के बीच कोयला कार्टेल द्वारा 540 करोड़ रुपये उगाहे गए।