नयी दिल्ली: 26 सितंबर (ए)) दिल्ली की एक अदालत ने स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ दर्ज कथित धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के मामले में अग्रिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने कहा, “वर्तमान मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और जांच अधिकारी (आईओ) को धोखाधड़ी, ठगी, षडयंत्र और धन के दुरुपयोग की पूरी श्रृंखला का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता/आरोपी से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।” आईओ के अनुसार, याचिकाकर्ता/आरोपी अपने दिए गए पते पर उपलब्ध नहीं है और उसका मोबाइल फोन बंद है।”
न्यायाधीश ने कहा, “आरोपों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए यह अदालत याचिकाकर्ता/आरोपी को अग्रिम जमानत देने के पक्ष में नहीं है। इसलिए, वर्तमान जमानत याचिका खारिज की जाती है।”
इस मामले में प्राथमिकी, खुद को कोई और व्यक्ति बताते हुए धोखाधड़ी करने, किसी व्यक्ति को संपत्ति सौंपने या उसे रखने के लिए सहमति देने के वास्ते बेईमानी से प्रेरित कर धोखाधड़ी, जालसाजी, जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करना और उसे असली के रूप में उपयोग करना तथा आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों के तहत दर्ज की गई थी।
स्वयंभू धर्मगुरु पर यहां एक निजी प्रबंधन संस्थान की 17 छात्राओं का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने का भी मामला दर्ज किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि चैतन्यानंद ने कथित तौर पर संस्थान पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया था और इसे संचालित करने वाले जगद्गुरु शंकराचार्य महासंस्थानम दक्षिणाम्नाय श्री शारदा पीठम की संपत्तियों को वित्तीय लाभ के लिए निजी कंपनियों को किराये पर दिया था।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कथित तौर पर उसने इस राशि का इस्तेमाल महंगी गाड़ियां खरीदने में किया।’’
पुलिस ने बताया कि अब तक चैतन्यानंद के पास दो कारें मिली हैं — एक वोल्वो, जिस पर जाली राजनयिक नंबर प्लेट ’39 यूएन 1′ है और फर्जी पते पर पंजीकृत है तथा एक बीएमडब्ल्यू, जो उसने मार्च में खरीदी थी।