पटना: तीन अगस्त (ए)) बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को तब झटका लगा जब उसके वरिष्ठ नेता अशोक राम रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जद (यू) में शामिल हो गए।
अशोक राम ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में ‘‘दलितों की अनदेखी’’ की जा रही है, जिसके साथ उनका करीब चार दशक का जुड़ाव रहा है।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा ने राम का पार्टी में स्वागत किया और दावा किया कि “कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। इसके कई नेता अब भी हमारे संपर्क में हैं।’’
राम बिहार कई बार विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर भी कार्य कर चुके हैं।
झा ने कहा, ‘‘अशोक राम का समाज के सभी वर्गों पर गहरा प्रभाव है। उनका जमीनी स्तर से जुड़ाव निश्चित रूप से जदयू के लिए फायदेमंद साबित होगा। दलितों के प्रति कांग्रेस पार्टी का व्यवहार और उनकी स्वीकार्यता जगजाहिर है।”
जदयू में शामिल होने के बाद, राम ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार एक दूरदर्शी नेता हैं और वह जन कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
कांग्रेस ने राम के जदयू में शामिल होने की आलोचना करते हुए दावा किया कि वह “घोर अवसरवादी” हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया पैनल में शामिल प्रेम चंद्र मिश्रा ने कहा, ‘‘अशोक राम का यह कहना बेबुनियाद है कि कांग्रेस में दलितों की उपेक्षा होती है, क्योंकि कांग्रेस ने न सिर्फ उनके पिता को केंद्रीय मंत्री बनाया, बल्कि उन्हें कई बार चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दिया।”
मिश्रा ने कहा, ‘‘अशोक राम जैसे अवसरवादी नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए एक अच्छी बात है, जो विधानसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन को जीत दिलाने पर केंद्रित है।’’
राम ने कांग्रेस के टिकट पर समस्तीपुर लोकसभा सीट से तीन बार चुनाव लड़ा था, लेकिन एक बार भी जीत नहीं पाए थे।
अशोक राम के दिवंगत पिता बालेश्वर राम कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे जो कई बार विधायक और सांसद रहे। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री थे।