नयी दिल्ली: 21 अगस्त (ए)) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऐसा ‘‘असंभव’’ है कि विवाह के बाद पति या पत्नी यह कह सकें कि वे अपने जीवनसाथी से स्वतंत्र होना चाहते हैं।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने आगाह करते हुए कहा कि यदि कोई स्वतंत्र रहना चाहता है तो उसे विवाह नहीं करना चाहिए।पीठ ने कहा, ‘‘हम बिल्कुल स्पष्ट हैं। कोई भी पति या पत्नी यह नहीं कह सकता कि जब तक हमारा वैवाहिक संबंध है, मैं दूसरे जीवनसाथी से स्वतंत्र रहना चाहता/चाहती हूं। यह असंभव है। विवाह का मतलब क्या है, दो दिलों, व्यक्तियों का एक साथ आना। आप स्वतंत्र कैसे हो सकते हैं?’’
शीर्ष अदालत एक दूसरे से अलग रह रहे एक दंपति के मामले की सुनवाई कर रही है। उनके दो बच्चे भी हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘अगर वे (दंपति) साथ आ जाते हैं, तो हमें खुशी होगी क्योंकि बच्चे बहुत छोटे हैं। उन्हें घर टूटा हुआ देखने को न मिले। उनका क्या कसूर है कि उनका टूटा हुआ घर हो।’’
दोनों पक्षों को अपने मतभेद सुलझाने का निर्देश देते हुए, पीठ ने कहा कि हर पति-पत्नी का आपस में कोई न कोई विवाद होता ही है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुई पत्नी ने कहा, ‘‘ एक हाथ से ताली नहीं बज सकती।’’
इस पर पीठ ने उससे कहा, ‘‘हम आप दोनों से कह रहे हैं, सिर्फ आपको नहीं।’’
महिला ने दावा किया कि उसका पति, जो सिंगापुर में रह रहा था और वर्तमान में भारत में है, इस मामले को सुलझाने के लिए तैयार नहीं है और केवल मुलाकात का अधिकार तथा बच्चों की अभिरक्षा चाहता है।
पीठ ने हैदराबाद में रह रही महिला से पूछा, ‘‘लेकिन आप सिंगापुर क्यों नहीं लौट सकतीं? बच्चों के साथ सिंगापुर लौटने में आपको क्या दिक्कत है?’’
महिला ने कुछ कठिनाइयों का हवाला देते हुए कहा कि सिंगापुर में पति की हरकतों के कारण उसके लिए वापस लौटना ‘‘बेहद मुश्किल’’ हो गया है।
एकल मां होने के नाते आजीविका के लिए नौकरी की जरूरत पर जोर देते हुए महिला ने दावा किया कि उसे अलग रह रहे पति से कोई गुजारा भत्ता नहीं मिला है।
महिला के पति के वकील ने कहा कि दोनों की ही सिंगापुर में ‘‘काफी अच्छी नौकरी’’ है, लेकिन पत्नी ने बच्चों के साथ सिंगापुर लौटने से इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘आपको (पत्नी को) नौकरी मिल सकती है, हो सकता है न मिले, लेकिन पति को आपका और बच्चों का भरण-पोषण करना होगा।’’ साथ ही अदालत ने पति को पत्नी और बच्चों के लिए कुछ राशि जमा करने का सुझाव दिया।
हालांकि, पत्नी ने न्यायालय से कहा कि वह किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘आप ऐसा नहीं कह सकतीं। शादी हो जाने के बाद, आप भावनात्मक रूप से अपने पति पर निर्भर हो जाती हैं। आर्थिक रूप से शायद न हों।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप यह नहीं कह सकतीं कि मैं किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती। फिर आपने शादी क्यों की? मुझे नहीं पता, मैं शायद पुराने ख्यालों वाली हूं, लेकिन कोई भी पत्नी यह नहीं कह सकती कि मैं अपने पति पर निर्भर नहीं रहना चाहती।’’
महिला ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए कुछ समय मांगा।
पीठ ने पक्षकारों से कहा, ‘‘आप सभी शिक्षित हैं। आपको इन मुद्दों को सुलझाना होगा।’’
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता (पति) वर्तमान में भारत में है और वह एक सितंबर को सिंगापुर लौटेगा।
शीर्ष अदालत ने याचिकाकार्ता को निर्देश दिया कि वह अपने खिलाफ जारी अन्य आदेशों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के लिए पांच लाख रुपये जमा कराए तथा मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।