नयी दिल्ली: 17 अप्रैल (ए) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी मामले में मकसद के अभाव को आरोपी को बरी करने का एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने 2012 में अपने बेटे की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए यह बात कही।
