बिहार की तरह सभी राज्यों में मृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाये जाएंगे

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: दो अक्टूबर (ए)) सभी राज्यों में निकट भविष्य में, मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में बिहार जैसी प्रवृत्ति देखने को मिलेगी, जहां कई वर्षों के बाद लाखों मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं।”

निर्वाचन आयोग का मानना है कि जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार के आंकड़ों को चुनाव मशीनरी से जोड़ने की प्रणाली स्थापित हो जाने पर, मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में शामिल होने का मुद्दा अंततः सुलझ जाएगा।बिहार में एसआईआर शुरू होने से पहले, राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता थे। प्रक्रिया शुरू होने के बाद, एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची में 7.24 करोड़ मतदाता थे, क्योंकि लगभग 65 लाख नाम हटा दिए गए थे, जिनमें 22 लाख मृत व्यक्ति भी शामिल थे।

अगस्त में यहां मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने बताया था कि बिहार में मृतक के तौर पर पहचाने गए लगभग 22 लाख मतदाताओं की मौत हाल में नहीं हुई थी, बल्कि संभवतः उनकी मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, पर उसका रिकॉर्ड पहले अद्यतन नहीं किया गया था।

एक प्रश्न के उत्तर में कुमार ने कहा कि मतदाता सूची के पिछले सामान्य पुनरीक्षण के दौरान गणना फार्म हर घर में नहीं दिए गए थे।

उन्होंने कहा कि जब तक लोग अपने परिवारों में हुई मौतों के बारे में सूचना नहीं देते, बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के पास ऐसे मामलों के बारे में जानने का कोई साधन नहीं है।

गहन पुनरीक्षण के दौरान, जब प्रक्रिया अधिक कठोर होती है, तो निर्वाचन तंत्र उन लोगों के नाम हटाने के प्रति अधिक सतर्क रहता है, जिनकी या तो मृत्यु हो गई है या वे स्थानांतरित हो गए हैं।

मतदाता सूची को तेजी से अद्यतन करने और उसे त्रुटिरहित बनाने के लिए, निर्वाचन प्राधिकरण अब भारतीय रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) से मृत्यु पंजीकरण डेटा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करेगा।

इससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को पंजीकृत मौतों के बारे में समय पर जानकारी प्राप्त हो जाएगी और बीएलओ फील्ड दौरे के माध्यम से जानकारी का पुनः सत्यापन कर सकेंगे और उन्हें मृतक के परिजनों के औपचारिक अनुरोध की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।

एक पदाधिकारी ने कहा, ‘लोगों को अपने परिवार में हुई मौतों की सूचना निर्वाचन अधिकारियों को देने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता। लेकिन एक बार जब डेटा जोड़ने की व्यवस्था स्थापित हो जाएगी, तो मतदाता सूची में मृतक व्यक्तियों के नाम बने रहने की स्थिति समाप्त हो जाएगी।’

अधिकारी ने कहा कि एक बार जब आरजीआई और नगर निकाय तथा ग्रामीण निकायों के साथ डेटा जोड़ने की व्यवस्था स्थापित हो जाएगी, तो मतदाता सूची अधिक त्रुटि-मुक्त हो जाएगी।