नयी दिल्ली: 30 अप्रैल (ए)।) उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल के उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों की जांच करने के आदेश पर जुलाई में सुनवाई करने का बुधवार को निर्णय लिया।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि मामले को दूसरी पीठ के समक्ष ले जाना होगा। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘इस मामले पर प्रधान न्यायाधीश को निर्णय लेना है।’’न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘हम इस पर जुलाई में सुनवाई करेंगे।’’
उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ दायर दो शिकायतों पर लोकपाल के 27 जनवरी के आदेश पर शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही पर विचार कर रहा था।
शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि न्यायाधीश ने राज्य के एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश और संबंधित उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को, जो एक निजी कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ दायर मुकदमे की सुनवाई करने वाले थे, फर्म के पक्ष में फैसले के लिए दबाव डाला।
आरोप है कि पूर्व में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जब बार में अधिवक्ता थे, तब उन्होंने निजी कंपनी की पैरवी की थी।
शीर्ष अदालत ने 20 फरवरी को लोकपाल के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि यह ‘‘बहुत ही परेशान करने वाला’’ है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित है।
इसके बाद उसने नोटिस जारी कर केंद्र, लोकपाल रजिस्ट्रार और शिकायतकर्ता से जवाब मांगा।
उच्चतम न्यायालय ने 18 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने में लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर गौर करेगा।
न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार से इस मामले में ‘एमिकस क्यूरी’ के रूप में सहायता करने को कहा।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कभी भी लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के दायरे में नहीं आएंगे।
अपने आदेश में लोकपाल ने दोनों मामलों में अपनी रजिस्ट्री में प्राप्त शिकायतों और प्रासंगिक सामग्रियों को भारत के प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय को उनके विचारार्थ भेजने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली लोकपाल पीठ ने 27 जनवरी को कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश के मार्गदर्शन की प्रतीक्षा में, 2013 के अधिनियम की धारा 20 (4) के अनुसार शिकायत के निपटारे के लिए वैधानिक समय सीमा को ध्यान में रखते हुए, फिलहाल इन शिकायतों पर विचार आज से चार सप्ताह तक स्थगित किया जाता है।’’
लोकपाल ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस आदेश के द्वारा हमने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर अंतिम रूप से निर्णय कर दिया है- कि क्या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, 2013 के अधिनियम की धारा 14 के दायरे में आते हैं, हां। न अधिक, न कम। इसमें हमने आरोपों के गुण-दोष पर गौर नहीं किया है।’