जबलपुर: 14 जून (ए)।) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बलात्कार पीड़िता और उसके माता-पिता द्वारा गर्भपात की अनुमति देने से इनकार करने पर गर्भ गिराने में देरी के बारे में एक याचिका का निपटारा कर दिया है।
सरकारी वकील मोहन सौसरकर ने बृहस्पतिवार को चार विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया है कि पीड़िता 14 साल से थोड़ी अधिक उम्र की है और उसके माता-पिता ने गर्भपात के संभावित अप्रिय परिणाम के बारे में बताये जाने के बाद सहमति नहीं दी।सरकारी वकील ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता की भलाई के लिए उसके माता-पिता गर्भावस्था को जारी रखना चाहते हैं।
न्यायमूर्ति अमित सेठ ने मामले का निपटारा करते हुए कहा, ‘‘इस तथ्य को देखते हुए कि पीड़िता और उसके माता-पिता गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए सहमति नहीं दे रहे हैं…और वे गर्भावस्था को जारी रखना चाहते हैं, वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं….इस याचिका में आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।’’
पांच जून को, न्यायालय ने बालाघाट जिले की बलात्कार पीड़िता के साढ़े सात महीने के गर्भ को समाप्त करने में देरी को लेकर स्वतः ही याचिका शुरू की थी तथा राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
उच्च न्यायालय ने बालाघाट जिला न्यायाधीश से पत्र तथा स्थानीय ‘सिविल सर्जन (चिकित्सक) की 26 मई की रिपोर्ट प्राप्त करने के पश्चात मामले का स्वतः संज्ञान लिया।