मॉस्को: 30 मई ( ए) रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि उनके देश की रुचि वास्तव में रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिकोणीय प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 2020 में उत्पन्न हुए गतिरोध के बाद आरआईसी प्रारूप बहुत सक्रिय नहीं रहा है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 2020 में उत्पन्न हुए गतिरोध के बाद आरआईसी प्रारूप बहुत सक्रिय नहीं रहा है।
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने लावरोव को उद्धृत किया, ‘‘ मैं त्रिकोणीय – रूस, भारत, चीन – प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की हमारी वास्तविक रुचि को दोहराना चाहता हूं , जिसकी स्थापना कई साल पहले (रूस के पूर्व प्रधानमंत्री) येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी। इस त्रिकोणीय प्रारूप के तहत अबतक अब तक 20 से अधिक बार मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित की हैं गई हैं। ये बैठकें न केवल विदेश नीति प्रमुखों के स्तर पर, बल्कि तीनों देशों की अन्य आर्थिक, व्यापार और वित्तीय एजेंसियों के प्रमुखों के स्तर पर भी हुई हैं।’’
रूस के विदेश मंत्री यूराल पर्वतों से घिरे पर्म शहर में यूरेशिया में सुरक्षा और सहयोग की एकल और न्यायसंगत प्रणाली बनाने पर एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक और राजनीतिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह शहर यूरोप और एशिया की सीमा पर है।
लावरोव ने कहा, ‘‘जैसा कि मैं समझता हूं, अब भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के तरीके पर सहमति बन गई है, और मुझे लगता है कि इस आरआईसी त्रिकोणीय प्रारूप को फिर से सक्रिय करने का समय आ गया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका नीत उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) खुलेआम भारत को चीन विरोधी षड्यंत्रों में शामिल करने की कोशिश कर रहा है।
लावरोव ने कहा, ‘‘मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे भारतीय मित्र और मैं जाहिर तौर पर इस प्रवृत्ति को देखते हैं और यह बात उनके साथ गोपनीय बातचीत के आधार पर कह रहा हूं। इसे वास्तव में एक बड़ी उकसावे वाली कार्रवाई माना जा सकता है।’’