लखनऊ में नई ब्रह्मोस परीक्षण सुविधा भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी: राजनाथ सिंह

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ: 13 जुलाई (ए)) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की नवनिर्मित एकीकरण और परीक्षण सुविधा रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी।

सिंह ने यह बात लखनऊ में एक कार्यक्रम में कही जहां उन्होंने नेशनल पीजी कॉलेज में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्त की प्रतिमा का अनावरण किया और एक डाक टिकट जारी किया।

सिंह ने कहा, “कुछ दिन पहले ही, मैंने लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की एकीकरण और परीक्षण सुविधा का उद्घाटन किया। यह सुविधा रक्षा क्षेत्र में हमारे देश की आत्मनिर्भरता को मज़बूत करेगी। इससे रोज़गार भी पैदा होगा।”
उन्होंने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति की सराहना की जिसके कारण राज्य में निवेश बढ़ रहा है और उद्योग फल-फूल रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, “बुनियादी ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव हो रहे हैं। एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डा, मेट्रो, मेडिकल कॉलेज… ये सभी विकास की नई तस्वीर पेश कर रहे हैं।” लखनऊ से लोकसभा सदस्य सिंह ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्त की भी प्रशंसा की। गुप्त तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

सिंह ने कहा, “चंद्रभानु गुप्त जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और अपने त्याग, प्रतिबद्धता और नेतृत्व से लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई। चंद्रभानु गुप्त का जीवन हमें बताता है कि सत्ता का मतलब केवल पद या अधिकार नहीं है, बल्कि जिम्मेदारी, त्याग और जनता के हितों की रक्षा करना है।”

उन्होंने कहा, “उनका जीवन हमें यह संदेश भी देता है कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन दुश्मनी नहीं होनी चाहिए।” सिंह ने यह भी कहा कि गुप्त एक नेता से ज़्यादा एक जनसेवक थे। उन्होंने कहा, “जब हम उत्तर प्रदेश के गौरवशाली अतीत की चर्चा करते हैं तो स्वाभाविक रूप से चंद्रभानु गुप्त जी का नाम सामने आता है।”

सिंह ने गुप्त के संघर्षों की चर्चा करते हुए कहा कि देश के आजाद होने के बाद जब संविधान लागू हुआ और आधुनिक लोकतंत्र की नींव पड़ी, तब देश कई बड़ी-बड़ी समस्याओं से जूझ रहा था और उस समय शासन-प्रशासन की चुनौतियां और जिम्मेदारियां भी बहुत बड़ी थी।

सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पहले दो– मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत और सम्पूर्णानन्द– के बाद गुप्त जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तो पहले ही दिन उन्होंने मंत्रियों के वेतन और भत्ते को कम करने का कार्य किया ताकि सरकार के खर्च को कम किया जा सके।

रक्षा मंत्री ने कहा, “आज देश और प्रदेश में जो प्रशासनिक व्यवस्था काम कर रही है, उसकी नींव रखने में चंद्रभानु गुप्त जी जैसे लोगों का बहुत बड़ा योगदान है।” उन्होंने कहा, “चंद्रभानु जी ज़्यादा समय तक सत्ता में नहीं रहे। लेकिन जितने भी कम समय सत्ता में रहे, उन्होंने जनकल्याण के कामों को प्राथमिकता दी। वह हमेशा अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे।”

सिंह ने कहा कि गुप्त ‘कामराज योजना’ से सहमत नहीं थे, लेकिन इसी के चलते उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, “आप कल्पना कर सकते हैं कि कैसे एक निर्वाचित नेता को कुछ लोगों की नापसंदगी के कारण पद छोड़ना पड़ा होगा।” साल 1963 में (मद्रास के पूर्व मुख्यमंत्री) के. कामराज ने जवाहरलाल नेहरू को सुझाव दिया था कि वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को संगठनात्मक कार्य करने के लिए मंत्री पद छोड़ देना चाहिए। इस सुझाव को ‘कामराज योजना’ के नाम से जाना गया। इस योजना के तहत छह मुख्यमंत्रियों और छह केंद्रीय मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। बाद में नौ अक्टूबर, 1963 को कामराज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।