नयी दिल्ली: तीन अक्टूबर (ए)) दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उसने स्वयंभू बाबा चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ मामले में एक आपराधिक धारा जोड़ी है, जो झूठी गवाही देने के लिए किसी को धमकाने से संबंधित है।
यहां एक निजी प्रबंधन संस्थान में 17 छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोपी सरस्वती को पांच दिन की पुलिस हिरासत पूरी होने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिमेष कुमार के समक्ष पेश किया गया।अदालत ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अदालत में सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने आरोपी की न्यायिक हिरासत की मांग की, जिसका सरस्वती के वकील ने विरोध किया।
वकील ने पूछा, “वे न्यायिक हिरासत की मांग कर रहे हैं। किन धाराओं के तहत?” इस पर अभियोजन पक्ष ने कहा कि मौजूदा अपराधों के अलावा, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 232 (किसी को झूठी गवाही देने के लिए धमकाना) भी जोड़ी गई है।
इससे पहले, आरोपी के खिलाफ वसंत कुंज उत्तर पुलिस थाने में बीएनएस धारा 75 (2) (यौन उत्पीड़न), 79 (शब्द, इशारा या किसी महिला की गरिमा का अपमान करने का इरादा) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बाद में प्राथमिकी में बीएनएस प्रावधान को शामिल करने के कारण के बारे में अदालत के सवाल का जवाब देते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि मामला दर्ज होने के बाद महिला शिकायतकर्ताओं में से एक को धमकी दी गई थी।
उनके वकील ने जब्ती मेमो और केस डायरी दिये जाने की मांग करते हुए एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
वकील ने तर्क दिया, “उन्हें अपने वस्त्र पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए। हमने दीक्षा प्रमाणपत्र संलग्न किया है…यह एक साजिश है। पुलिस मामले से जुड़े कुछ पहलुओं का मीडिया के सामने खुलासा कर रही है।”
अदालत ने पुलिस से अन्य आवेदनों पर जवाब मांगा, जिनमें भिक्षुओं के वस्त्र पहनने, दवाइयां और “संन्यासी” भोजन उपलब्ध कराने की मांग की गई थी।
चैतन्यानंद (62) को 28 सितंबर को आगरा से गिरफ्तार किया गया था।
इससे पहले, पुलिस ने सरस्वती से जुड़े कई बैंक खातों और सावधि जमाओं में जमा आठ करोड़ रुपये जब्त कर लिए थे।
प्राथमिकी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली स्थित प्रबंधन संस्थान का पूर्व अध्यक्ष सरस्वती कथित तौर पर छात्राओं को देर रात अपने क्वार्टर में आने के लिए मजबूर करता था और उन्हें अनुचित समय पर अनुचित संदेश भेजता था।
वह कथित तौर पर अपने फोन में लगे ‘सीसीटीवी मॉनिटरिंग ऐप’ के जरिए छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखता था।
जांच के दौरान पता चला कि आरोपी ने कथित तौर पर विभिन्न नामों और विवरणों का इस्तेमाल कर कई बैंक खाते संचालित किए और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 50 लाख रुपये से अधिक की राशि निकाल ली।
उन्होंने कथित तौर पर खाता खोलने के समय अलग-अलग विवरण वाले दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।
पुलिस को उसके पास से फर्जी विजिटिंग कार्ड भी मिले, जिन पर उसे संयुक्त राष्ट्र और ब्रिक्स से जुड़ा हुआ दिखाया गया था।