नयी दिल्ली: 26 मार्च (ए) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अदालतों को अपवाद वाले मामलों को छोड़कर किसी समाचार के प्रकाशन के खिलाफ एक पक्षीय निषेधाज्ञा जारी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जानकारी प्राप्त करने के लोगों के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
