नयी दिल्ली: पांच अगस्त (ए)) एक अप्रत्याशित आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को ”कार्यकाल समाप्त होने तक” आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटा दिया है। यह कार्रवाई तब की गई जब न्यायाधीश ने एक दीवानी विवाद में “त्रुटिपूर्वक” आपराधिक प्रकृति के समन को बरकरार रखा।इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस द्वारा पारित आदेश पर कड़ा रुख अपनाते हुए जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने उनकी (न्यायाधीश की) सेवानिवृत्ति तक उनके रोस्टर से आपराधिक मामलों को हटाने का निर्देश दिया और उन्हें एक खंडपीठ में वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ बैठने का कार्य सौंपा। हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने एक कंपनी के खिलाफ मजिस्ट्रेट के समन आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया था। इस कंपनी पर दीवानी प्रकृति के एक व्यापारिक लेनदेन में शेष राशि का भुगतान न करने का आरोप था।इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि शिकायतकर्ता को राशि वसूलने के लिए दीवानी उपाय अपनाने के लिए कहना अनुचित है क्योंकि इसमें बहुत समय लगता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को ‘त्रुटिपूर्ण’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीश ने यहां तक कह दिया कि शिकायतकर्ता को शेष राशि की वसूली के लिए आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए।शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह आदेश उनके न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल के दौरान देखने में आया सबसे खराब और सबसे त्रुटिपूर्ण आदेशों में से एक था। पीठ ने कहा, ‘‘ संबंधित न्यायाधीश ने न केवल खुद के लिए अपमानजनक स्थिति उत्पन्न की है बल्कि न्याय का मजाक भी बना दिया है। हम यह समझने में असमर्थ हैं कि उच्च न्यायालय के स्तर पर भारतीय न्यायपालिका के साथ क्या समस्या है। कभी-कभी हमे आश्चर्य होता है कि क्या ऐसे आदेश किसी बाहरी प्रभाव में दिये जाते हैं या यह कानून की सरासर अज्ञानता है। जो भी हो, ऐसे बेतुके और त्रुटिपूर्ण आदेश पारित करना अक्षम्य है।’’
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें ‘मैसर्स शिखर केमिकल्स‘ द्वारा कमर्शियल लेनदेन के एक मामले में समन आदेश को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। इस मामले में, शिकायतकर्ता (ललिता टेक्सटाइल्स) ने ‘शिखर केमिकल्स’ को 52.34 लाख रुपये मूल्य का धागा बेचा था, जिसमें से 47.75 लाख रुपये का भुगतान किया गया लेकिन शेष राशि का भुगतान आज तक नहीं किया गया है।
ललिता टेक्सटाइल्स ने शेष राशि की वसूली के लिए एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद, शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किया गया और एक मजिस्ट्रेट अदालत ने आवेदक के खिलाफ समन जारी किया। ‘मैसर्स शिखर केमिकल्स’ ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया और तर्क दिया कि यह विवाद पूरी तरह से दीवानी प्रकृति का है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने आवेदक की याचिका खारिज कर दी