न्यूयॉर्क: दो सितंबर (ए)) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसलिए ‘भारत के साथ संबंधों को दरकिनार’ कर दिया क्योंकि पाकिस्तान उनके परिवार के साथ व्यापारिक सौदे करने का इच्छुक है। उन्होंने इस कदम को अमेरिका के लिए ‘बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान’करार दिया।उनकी यह टिप्पणी भारत-अमेरिका संबंधों के पिछले दो दशकों के संभवतः सबसे बुरे दौर की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें ट्रंप की शुल्क नीति और उनके प्रशासन द्वारा नयी दिल्ली की लगातार आलोचना किये जाने के कारण तनाव और बढ़ गया है।सुलिवन ने सोमवार को ‘मीडासटच नेटवर्क’ पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘दशकों पहले से, द्विदलीय आधार पर, अमेरिका ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ अपने संबंध बनाने के लिए काम किया, एक ऐसा देश जिसके साथ हमें तकनीक, प्रतिभा और अर्थशास्त्र जैसे कई अन्य मुद्दों पर एकजुट होना चाहिए, और चीन से रणनीतिक खतरे से निपटने में भी एकजुट होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के साथ निजी व्यावसायिक हितों को तरजीह देने वाले ट्रंप के कारण यह रिश्ता कमजोर हुआ है।
सुलिवन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पाकिस्तान की ट्रंप परिवार के साथ व्यापारिक सौदे करने की इच्छा के कारण ही ट्रंप ने भारत के साथ अपने संबंधों को दरकिनार कर दिया है।’’
सुलिवन ने इसे ‘बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान’ बताया और कहा कि मजबूत अमेरिका-भारत संबंध अमेरिका के हितों की पूर्ति करते हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे सुलिवन ने यह भी चिंता जताई कि इस तरह की कार्रवाइयों से दुनिया भर के अन्य देशों में ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका के साथ उनके संबंधों को लेकर चिंता है।
सुलिवन ने कहा, ‘‘दुनिया के किसी देश की कल्पना कीजिए। आप जर्मनी हैं, आप जापान हैं, आप कनाडा हैं। आप इसे देखते हैं और कहते हैं, ‘कल हम भी हो सकते हैं’। और यह आपके इस विचार को और पुष्ट करता है कि आपको अमेरिका के खिलाफ बचाव करना होगा और दुनिया भर के हमारे सभी मित्र और देश यह निर्णय लेंगे कि वे किसी भी तरह, किसी भी रूप में अमेरिका पर भरोसा नहीं कर सकते, यह दीर्घकालिक रूप से अमेरिकी लोगों के हित में नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि भारत के साथ मौजूदा स्थिति के ना केवल प्रत्यक्ष रणनीतिक परिणाम होंगे, बल्कि दुनिया भर में उसके साथ सभी अमेरिकी संबंधों और साझेदारियों पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।