केरल में यूडीएफ ने तीन नये दलों से तालमेल की घोषणा की; एक पार्टी के नेता ने गठबंधन से इनकार किया

राष्ट्रीय
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कोच्चि: 22 दिसंबर (ए) केरल में विधानसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस सहित तीन और राजनीतिक दलों को अपने साथ जोड़कर अपना आधार विस्तार करने का फैसला किया।

हालांकि, यूडीएफ से संबद्ध बताई जा रही पार्टियों में से एक के नेता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने कांग्रेस नीत गठबंधन से जुड़ने के लिए कभी भी संपर्क नहीं किया।यूडीएफ की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की केरल इकाई; आदिवासी नेता सी के जानू के नेतृत्व वाली जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी (जेआरपी); और विष्णुपुरम चंद्रशेखरन के नेतृत्व वाली केरल कामराज कांग्रेस, यूडीएफ की सहयोगी पार्टियां बनेंगी।

पूर्व विधायक पी वी अनवर तृणमूल कांग्रेस की प्रदेश इकाई का नेतृत्व कर रहे हैं।

सतीशन ने कहा कि सी के जानू और विष्णुपुरम चंद्रशेखरन पूर्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ थे, लेकिन बाद में उन्होंने गठबंधन से नाता तोड़ लिया।

यूडीएफ नेतृत्व के अनुसार, इन नेताओं ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की ‘जनविरोधी नीतियों’ के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत करने के लिए विपक्षी मोर्चे में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। सतीशन ने कहा, ‘जब उन्होंने हमसे संपर्क किया, तो यूडीएफ की दो बैठकों में इस मामले पर चर्चा हुई और निर्णय लिया गया।’

हालांकि, घोषणा के कुछ ही मिनट बाद, केरल कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष विष्णुपुरम चंद्रशेखरन ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने या उनकी पार्टी ने यूडीएफ में शामिल किए जाने का अनुरोध किया।

चंद्रशेखरन ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने यूडीएफ नेताओं को राजग के प्रति अपने असंतोष के बारे में बताया था, लेकिन गठबंधन बदलने पर कोई चर्चा नहीं हुई।

वह केरल में राजग के उपाध्यक्ष भी हैं।

उन्होंने कहा, “अगर मैंने कोई आवेदन दिया था, तो यूडीएफ नेताओं को इसे सार्वजनिक करना चाहिए। राजग के साथ मेरे मतभेद हैं, क्योंकि वह अपने सभी सहयोगियों का ध्यान नहीं रखता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने यूडीएफ में शामिल किए जाने का अनुरोध किया है।”

उन्होंने कहा कि राजग के मुद्दों को आंतरिक रूप से या संघ परिवार के नेतृत्व के हस्तक्षेप से सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह कहना उचित नहीं है कि मैंने यूडीएफ में शामिल किए जाने का अनुरोध किया। यूडीएफ नेताओं के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं, लेकिन हमने कभी भी मोर्चे में शामिल होने के बारे में चर्चा नहीं की।”

उन्होंने कहा कि यूडीएफ की घोषणा से बैकुंठ स्वामी धर्म प्रचारना (वीएसडीपी) के सदस्यों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, जिससे उनकी पार्टी संबद्ध है।

यूडीएफ नेतृत्व ने चंद्रशेखरन के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कांग्रेस नीत सरकार के खिलाफ मुथंगा आंदोलन में सी के जानू की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, सतीशन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उस समय हालात अलग थे। उन्होंने कहा, “जानू ने आदिवासी समुदाय के बीच काम किया और उनकी नेता के रूप में उभरीं। जानू और उनकी पार्टी यूडीएफ के साथ काम करना चाहती थी, इसलिए हमने उन्हें साथ लेने का फैसला किया।”

उन्होंने कहा कि यूडीएफ अब आदिवासी समुदाय और उनके कल्याण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

नीलांबुर के पूर्व विधायक पी वी अनवर ने मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के साथ सार्वजनिक रूप से मतभेद के बाद हाल में एलडीएफ से नाता तोड़ लिया था।

सतीशन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत अगले महीने यूडीएफ सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा की जाएगी।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि यूडीएफ फरवरी में कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक एक रैली का आयोजन करेगा। सतीशन ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के बाद यूडीएफ न तो एलडीएफ और न ही राजग के साथ सहयोग करेगा।

इससे पहले, केरल कांग्रेस (जोसेफ) के अध्यक्ष पी जे जोसेफ ने कहा कि यूडीएफ को मजबूत करने का मतलब यह नहीं है कि उसमें नयी पार्टियां शामिल की जाएं। वह केरल कांग्रेस (मणि) की यूडीएफ में संभावित वापसी के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।