प्रयागराज,16 अक्टूबर (ए)। निठारी कांड की जांच को लेकर निराशा व्यक्त करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि जांच में गड़बड़ी हुई और साक्ष्य संग्रह के बुनियादी नियमों का ‘बेशर्मी से उल्लंघन’ किया गया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष की विफलता, जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा ‘‘जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं’’ है। पंढेर को उन दो मामलों में बरी कर दिया गया जिनमें उसे फांसी की सजा हुई थी, जबकि कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया गया जिनमें उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। सैयद आफताब हुसैन रिजवी और अश्वनी कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में साक्ष्य के आकलन पर, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक आरोपी को मुकदमे में निष्पक्ष सुनवाई की दीगई गारंटी के मद्देनजर, हमने पाया कि अभियोग पक्ष आरोपी एसके और पंढेर का अपराध, परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित एक मामले के तय मानकों पर उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा।’’
