कैसे काम करती है इजराइल की मशहूर वायु रक्षा प्रणाली? ‘आयरन डोम’ तक नहीं है सीमित

अंतरराष्ट्रीय
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होबार्ट (ऑस्ट्रेलिया), 18 जून (द कन्वरसेशन) पिछले हफ्ते के अंतिम दिनों में इजराइल ने ऑपरेशन ‘राइजिंग लॉयन’ के तहत ईरान पर सिलसिलेवार हमले किए, जिसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम और लंबी दूरी तक हमला करने की उसकी क्षमताओं को कमजोर करना बताया गया।शुरुआत में, इजराइल ने दावा किया था कि ईरान जल्द ही नौ परमाणु हथियार बनाने में सक्षम हो जाएगा। अगर ऐसा होता तो इजराइल के लिए मुश्किलें खड़ी हो जातीं क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के चिर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं।

ईरानी की परमाणु सुविधाओं पर इजराइली हमलों और ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों तथा सशस्त्र बलों के प्रमुख सदस्यों की निशाना बनाकर हत्या किए जाने के बाद ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोनों की बौछार करके इजराइल पर पलटवार किया। पहले चरण में लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें और 200 ड्रोन छोड़े जाने का दावा किया गया है।

संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है, आबादी वाले इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है। इजराइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली (जिसमें आयरन डोम भी शामिल है) ने अब तक ईरान के अधिकांश हमलों को विफल कर दिया है, लेकिन भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

बैलिस्टिक मिसाइलें क्या होती हैं और उन्हें कैसे रोका जाए?

ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइलों और लंबी दूरी के ड्रोन की भरमार है, साथ ही क्रूज़ मिसाइलों जैसे अन्य लंबी दूरी के हथियार भी हैं। बैलिस्टिक मिसाइलें मोटे तौर पर एक निश्चित दिशा में तेजी से आगे बढ़ती हैं, जबकि क्रूज मिसाइलें उड़ते समय अपना मार्ग समायोजित कर सकती हैं।

ईरान, इजराइल से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर है, इसलिए हमलों के लिए ज्यादातर मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों और लंबी दूरी के ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान ने हमलों में किस प्रकार की मिसाइल का इस्तेमाल किया है, लेकिन देश के पास फतह-1 और इमाद समेत कई मिसाइलें हैं।

बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव करना बहुत मुश्किल होता है। इनके उड़ान भरने और हमला करने के बीच ज्यादा समय नहीं होता और वे बहुत तेज गति से नीचे गिरती हैं। मिसाइल की रेंज जितनी लंबी होगी, वह उतनी ही तेज और ऊंची उड़ान भरती है। मिसाइल से तेजी से हमला होता है और जिसपर यह दागी जाती है, उसके पास बचाव के लिए बहुत कम समय होता है।

इजराइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली और आयरन डोम

आज इजराइल के पास सबसे प्रभावी, युद्ध में परखी जा चुकी वायु रक्षा प्रणालियों में से एक प्रणाली है। इस प्रणाली को अक्सर मीडिया में ‘आयरन डोम’ कहा जाता है लेकिन ये सही नहीं है।

इजराइल में कई सुरक्षा स्तर हैं, जिनमें से प्रत्येक को विभिन्न दिशाओं से आने वाले खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है।

आयरन डोम इस प्रणाली का एक हिस्सा है: यह एक छोटी दूरी की रक्षा प्रणाली है। इसे छोटी दूरी के हमलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है।

संक्षेप में, आयरन डोम में रडार उत्सर्जकों, कमांड और नियंत्रण सुविधाओं और इंटरसेप्टर (विशेष सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों) का एक नेटवर्क शामिल है। रडार आने वाले खतरों को तुरंत पहचान लेता है, कमांड और नियंत्रण तत्व तय करते हैं कि क्या किया जाना चाहिए, और इंटरसेप्टर आने वाले गोले या रॉकेट को नष्ट करने के लिए भेजे जाते हैं।

बैलिस्टिक रक्षा प्रणाली

इजराइल की रक्षा प्रणाली के अन्य उपकरणों में डेविड स्लिंग और एरो 2 और एरो 3 इंटरसेप्टर शामिल हैं।

ये विशेष रूप से लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से वायुमंडल के अंदर और उससे बहुत अधिक ऊंचाई पर (जिसे एक्सोएटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन के रूप में जाना जाता है) बचाव करने के लिए तैयार किए गए हैं।

इस संघर्ष के दौरान संभावित ‘एक्सोएटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन’ के फुटेज देखने को मिले हैं, जो लंबी दूरी की मिसाइलों को नष्ट करने की इजराइल की क्षमता को प्रदर्शित करते हैं।

अमेरिकी सेना के पास भी ऐसी ही मिसाइल रक्षा प्रणालियां हैं। अमेरिकी सेना के पास पैट्रियट पीएसी-3 (डेविड स्लिंग के समान) और टीएचएएडी (एरो 2 के समान) हैं, जबकि अमेरिकी नौसेना के पास एजिस और एसएम-3 (एरो 3 के समान) और एसएम-6 (एरो 2 के समान) हैं।

अमेरिका ने 2024 में मिसाइल हमलों के खिलाफ इजराइल की रक्षा के लिए एजिस से सुसज्जित युद्धपोत तैनात किये थे, और ऐसा प्रतीत होता है कि वह अब भी ऐसा ही करने की तैयारी कर रहा है।

ईरान के पास रूसी एस300 जैसी कुछ वायु रक्षा प्रणालियां हैं, जिनमें कुछ (बहुत सीमित) बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा क्षमताओं वाली हैं।

ईरान युद्धक क्षमता वाले वारहेड जैसी तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे बच पाना कठिन होता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये अभी तक चालू हैं या नहीं और ईरानी सेवा में हैं या नहीं।

मिसाइल सुरक्षा हमेशा के लिए बनी रह सकती है?

मिसाइल सुरक्षा सीमित होती है। बचावकर्ता हमेशा अपने पास मौजूद इंटरसेप्टर की संख्या पर निर्भर रहता है। हमलावर भी अपने पास मौजूद मिसाइलों की संख्या पर निर्भर रहता है। हालांकि, बचावकर्ता को अक्सर प्रत्येक हमलावर मिसाइल पर कई इंटरसेप्टर छोड़ने पड़ते हैं, ताकि अगर एक काम न कर पाए तो दूसरा वह काम कर जाए।

हमलावर इंटरसेप्टर को कुछ नुकसान पहुंचाने की योजना बनाकर अपने अनुसार पर्याप्त मिसाइलें छोड़ता है, ताकि कम से कम कुछ मिसाइलें रक्षा पंक्ति को भेद सकें।

जब बैलिस्टिक मिसाइलों की बात आती है, तो हमलावर को फायदा होता है। बैलिस्टिक मिसाइलें बड़े विस्फोटक पेलोड (या यहां तक कि परमाणु हथियार) ले जा सकती हैं, इसलिए अगर कुछ मिसाइलें रक्षात्मक प्रणालियों को चकमा देकर निकल जाएं तो काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

अब क्या होने वाला है?

इजराइल की मिसाइल सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह से काम करना बंद कर देगी, इसकी संभावना नहीं है। हालांकि, जैसे-जैसे हमलों के कारण उसके इंटरसेप्टर कम होते जा रहे हैं, सिस्टम कम प्रभावी होने की संभावना बढ़ती जा रही है।

जैसे-जैसे संघर्ष आगे बढ़ेगा, यह देखने वाली बात होगी कि किसके हथियार पहले खत्म होंगे। क्या ईरान का बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन का स्टॉक खत्म होगा, या इजराइल, अमेरिका और किसी अन्य समर्थक के ‘इंटरसेप्टर’ और एंटी-एयर हथियार खत्म हो जाएंगे?

यह कहना असंभव है कि इस मामले में किसकी जीत होगी। कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि ईरान ने अनुमानित 3,000 में से लगभग 1,000 बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दी हैं। हालांकि, इसके बाद भी उसके पास उपयोग के लिए बहुत बड़ा भंडार है, और यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान अपने भंडार को फिर से भरने के लिए कितनी जल्दी नयी मिसाइलें बना सकता है।

लेकिन हमें उम्मीद करनी चाहिए कि ऐसा न हो। इजराइल और ईरान के बीच बात मिसाइल हमलों से आगे बढ़ने का जोखिम है। यदि इसका समाधान शीघ्र नहीं किया गया, तथा अमेरिका संघर्ष में आगे भी प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहा, तो पश्चिम एशिया में व्यापक संघर्ष देखने को मिल सकता है।