नयी दिल्ली: सात फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने संभल में संरचनाओं की तोड़फोड़ पर उसके फैसले का कथित तौर पर उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ता से संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘इसे उच्च न्यायालय में दाखिल करें।’’पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि इस मुद्दे का संबंधित उच्च न्यायालय द्वारा सबसे बेहतर तरीके से समाधान किया जा सकता है। इसलिए, हम याचिकाकर्ता को संबंधित उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता देते हुए वर्तमान याचिका का निपटारा करते हैं।’’शीर्ष अदालत ने 13 नवंबर 2024 के अपने फैसले में यह स्वतंत्रता दी थी कि अगर कोई उल्लंघन होता है तो संबंधित उच्च न्यायालय शिकायत पर विचार करेगा।
अधिवक्ता चांद कुरैशी के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने शीर्ष अदालत के 13 नवंबर 2024 के उस फैसले का उल्लंघन किया है जिसमें अखिल भारतीय स्तर के दिशा-निर्देश तय किए गए थे और कारण बताओ नोटिस के बिना संपत्ति को गिराने पर रोक लगाई गई थी और पीड़ित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय देने को कहा गया था।
याचिका में दावा किया गया कि उत्तर प्रदेश के संभल में अधिकारियों ने 10-11 जनवरी को याचिकाकर्ता या उसके परिवार के सदस्यों को बिना किसी पूर्व सूचना या अवसर दिए उसकी संपत्ति का एक हिस्सा गिरा दिया।
आदेश सुनाए जाने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, ‘‘मेरी संपत्ति में किसी तीसरे पक्ष का हित नहीं बनाया जा सकता।’’
पीठ ने कहा, ‘‘जाइए और मुकदमा दायर करिए। हमने सभी आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं।’’
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अधिकारियों की मनमानी और अवैध कार्रवाई से व्यथित है, जो शीर्ष अदालत के फैसले का ‘‘पूर्ण उल्लंघन’’ है।
याचिका में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के पास संपत्ति के सभी आवश्यक दस्तावेज, स्वीकृत नक्शे और अन्य संबंधित दस्तावेज हैं, लेकिन न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारी याचिकाकर्ता की संपत्ति के परिसर में पहुंचे और उक्त संपत्ति को गिराना शुरू कर दिया।’’
इसमें कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के नवंबर 2024 के फैसले में सरकारी प्राधिकारियों को देश में संपत्ति पर बुलडोजर चलाने और उन्हें ध्वस्त करने से पहले तैयार दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है।
याचिका के अनुसार, प्राधिकारियों ने दिशानिर्देशों की अवहेलना की और बिना किसी पूर्व सूचना के उत्तर प्रदेश के संभल में तिवारी सराय स्थित याचिकाकर्ता की फैक्टरी के एक हिस्से को बुलडोजर से गिरा दिया।
इसमें कहा गया कि प्राधिकारियों में न्यायालय, कानून के शासन और न्याय प्रशासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है।
अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का अनुरोध करने के अलावा याचिका में उन्हें संबंधित परिसर में किसी तीसरे पक्ष के हित को बनाने से रोकने का भी आग्रह किया गया।
याचिका में अधिकारियों को 11 जनवरी की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया।