आमिर के पिता ने पुलिस जांच को खारिज किया

राष्ट्रीय
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रामबन/जम्मू, 29 दिसंबर (ए) हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक- आमिर माग्रे के पिता ने बुधवार को पुलिस की उस जांच को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उनका बेटा आतंकवादी था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह उच्च न्यायालय का रुख कर अपने पुत्र का शव लौटाने का अनुरोध करेंगे।

हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच कर रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को कहा था कि एक विदेशी आतंकवादी ने एक नागरिक को मार डाला जबकि मकान का मालिक और एक स्थानीय “आतंकवादी” (आमिर माग्रे) की गोलीबारी में मौत हो गई।

माग्रे के पिता मोहम्मद लतीफ ने कहा, “मैं पुलिस जांच को पूरी तरह से खारिज करता हूं क्योंकि मेरा बेटा कभी भी आतंकवादी या उसका समर्थक नहीं हो सकता।” लतीफ को 2007 में लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकवादी को मारने के लिए राज्य पुरस्कार मिला है। इसके अलावा अपने गूल-संगलदान ब्लॉक से आतंकवाद के सफाए के लिए सुरक्षा बलों की मदद को लेकर भी कई प्रशंसा पत्र मिले हैं।

लतीफ ने कहा कि वह अपने बेटे का शव लौटाए जाने के लिए वकील दीपिका सिंह राजावत के जरिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर रहे हैं।

राजावत ने कहा कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और वे शव की वापसी के लिए बृहस्पतिवार को सुबह रजिस्ट्री को याचिका देंगे।

एसआईटी प्रमुख डीआईजी सुजीत के सिंह, ने मंगलवार को सुरक्षा बलों को वस्तुतः क्लीन चिट दे दी, लेकिन कहा कि अगर कोई अन्य सबूत सामने आता है तो टीम अपने निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। सिंह ने श्रीनगर में पत्रकारों से कहा, “हमारी अब तक की जांच से पता चला है कि डॉ मुदासिर गुल को इमारत के अंदर छिपे विदेशी आतंकवादी ने मार दिया था क्योंकि उनका शव अटारी से बरामद किया गया था। सुरक्षा बल तलाशी या उसके बाद के अटारी पर नहीं गए थे।”

जांच का विवरण देते हुए सिंह ने कहा कि जांच से पता चला है कि डॉ गुल के कर्मचारी आमिर माग्रे का विदेशी आतंकवादी बिलाल भाई के साथ घनिष्ठ संबंध था जो भागने की कोशिश में मारा गया था।

इस बीच, हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने जांच के बारे में बयानबाजी को लेकर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।